
दिल्ली स्थित कथित मेनस्ट्रीम में दलितों और आदिवासियों की संख्या ना के बराबर है। स्थानीय मीडिया संस्थानों में भी हालत लगभग यही है। लेकिन कुछ लोग जो बहुत मुश्किल से अपनी जगह बनाने में कामयाब हो पाए हैं, उन्हें भी दरकिनार करने की कोशिश की जा रहा है।
झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे इलाकों में ऐसी घटनाएं ज्यादा देखने को मिल रही हैं। इसकी प्रमुख वजह है सत्ता की दमनकारी नीतियों को स्थानीय पत्रकारों द्वारा उजागर करना। ताजा मामला झारखंड के डोरंडा थाना क्षेत्र की हैं। यहां अमित तोपनो नाम के युवा आदिवासी पत्रकार की हत्या कर दी गई है।

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अमित खूंटी के तोरपा का रहने वाला था। रविवार की सुबह अमित की शव डोरंडा थाना क्षेत्र के घाघरा से मिली। मृतक के दोस्तों और परिजनों ने उसकी शिनाख्त कर ली है। अमित शनिवार की शाम से ही लापता बताया जा रहा है।

अमित तोपनो NewsCode Jharkhand नाम के न्यूज पोर्टल से जुड़ा हुआ था। वह अपने क्षेत्र में साहसी रिपोर्टिंग के लिए जाना जाता था। अमित ने पत्थलगड़ी आंदोलन से जुड़े कई एक्सक्लूसिव वीडियो सामने लाए थे। पत्थलगड़ी झारखंड की बीजेपी सरकार द्वारा लागू की जा रही आदिवासी विरोधी नीतियों के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन है।
जो मीडिया विवादित स्थल को ‘राम मंदिर’ बताता है, वो उसे ‘बाबरी मस्जिद’ कहने पर क्यों भड़क रहा है ?

फिलहाल अमित कुछ व्यक्तिगत कारणों से ओला का कैब भी चला रहा था। पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर शव को पोस्टमॉर्टम के लिए रिम्स भेज दिया है।