
हाल ही में पाँच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा किसी एक राज्य में भी सरकार नही बना सकी। कई चुनावी पंडितों का कहना है कि इसका मूल कारण किसानों या ग्रामीण क्षेत्रों की जनता की भाजपा और उसकी सरकार से नारज़गी है।
हाल ही में सामने आए आंकड़ें इस कथन को मज़बूत आधार देते हैं। देश में ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं। ये समस्याएँ सिर्फ सुविधाओं और विकास को लेकर नहीं हैं बल्कि महंगाई से सम्बंधित भी हैं।
ग्रामीण भारत में पिछले कुछ समय से महंगाई की समस्या बढ़ती जा रही है और ये मोदी सरकार के बड़े आर्थिक क़दमों या कहें गलतियों का नतीजा है।
3 राज्यों में हारने के बाद PM मोदी GST ‘घटा’ रहे हैं, 2019 हारने के बाद ‘नोटबंदी’ के लिये भी माफ़ी मागेंगे : आचार्य प्रमोद
‘लाइव मिंट’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2016 से ग्रामीण भारत में महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है। नवम्बर 2016, से लेकर नवम्बर 2018 तक ग्रामीण भारत में सेवाओं के दामों में 1.80% की बढ़ोतरी हुई है।
वहीं, मूल महंगाई दर इसी अवधि के बीच 1.24% बढ़ गई है। देश के ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई का बढ़ना चिंता का विषय इसलिए है, क्योंकि यहाँ सुविधाओं, रोज़गार और विकास की कमी है। इसके बाद अगर यहाँ महंगाई भी लगातार बढ़ेगी तो स्तिथि पहले से बदतर हो सकती है।
मोदी ने ‘नोटबंदी’ से 35 लाख लोगों की नौकरियां छीन ली फिर इसे छिपाने के लिए ‘विज्ञापनों’ में 5000 करोड़ फूंक दिए : रवीश
रिपोर्ट में दिखाया गया है ग्रामीण भारत में महंगाई शहरी क्षेत्रों के लगभग बराबर बढ़ रही है। ध्यान देने वाली बात ये है कि महंगाई नवम्बर 2016, से लगातार बढ़ रही है। और तब ही मोदी सरकार ने नोटबंदी का एलान किया था। और इसके अगले साल जीएसटी को लागू किया गया था।