फ्रेंच एयरक्राफ्ट कंपनी डसॉल्ट अब पूरी तरह से मोदी सरकार के बचाव में उतर आई है। जहां डसॉल्‍ट एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने मोदी सरकार पर लग रहे आरोपों को ग़लत बता दिया ।

वहीं भारत में डसॉल्‍ट एविएशन के प्रतिनिधि वेंकट पोसीना राव राफेल को लेकर सवाल करने वाले पत्रकारों पर हमला करते नज़र आ रहे हैं।

राव ने राफेल पर मोदी सरकार को घेरने वाली पत्रकार सिमी पाशा और रोहिणी सिंह को कांग्रेसी बता दिया। उन्होंने कंपनी पर लग रहे आरोपों पर सफ़ाई देने के बजाए पत्रकारों को धमकी देते हुए ख़ामोश रहने के लिए कहा।

राव ने सिमी पाशा के ट्विटर पर पूछे गए सवाल पर कहा, “अगर आपके पास सबूत है तो बहस करें, नहीं तो हमारी कंपनी के बारे में बुरा मत बोलें”। उन्होंने धमकाते हुए कहा, “हम कोई बुराई नहीं सुनेंगे”।

हैरानी की बात तो यह है कि राव पत्रकारों पर हमला उन्हें कांग्रेसी बताते हुए कर रहे हैं। क्या सरकार से सवाल करने वाले पत्रकारों को विपक्ष का पिट्ठू बताना सत्तारूढ़ पार्टी की वकालत करना नहीं है? इस सवाल का जवाब राव के ट्विटर अकाउंट को देखने के बाद मिल जाएगा।

राव की ट्विटर टाइमलाईन को देखने से लगता है कि जैसे वह बीजेपी के आईटी सेल के लिए काम करते हैं। उन्होंने बीजेपी आईटी सेल की कई फेक़ ख़बरों को भी रिट्वीट किया हुआ है।

जिसमें से एक वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त से जुड़ी है, इसमें बताया गया है कि बरखा दत्त ने कश्मीरी पंडितों की हत्या को जायज़ ठहराया है।

इसके साथ ही राव ने सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने वाले बीजेपी आईटी सेल के कई ट्वीट्स को रिट्वीट किया है।

राव की टाइमलाइन देखने पर आपको हिंदू राष्ट्र और राम राज्य की मांग करने वाला उनका एक ट्वीट भी दिख जाएगा। इसके साथ ही राव की टाइमलाइन पर भारतीय न्यायपालिका के लिए अपमानजनक शब्द भी मिलेंगे।

राव की पूरी टाइमलाईन कांग्रेस के प्रति उनकी नफ़रत और बीजेपी से उनके प्यार को साफ़ तौर पर दर्शाती है। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या डिफेंस कंपनी के प्रतिनिधि का कोई राजनीतिक स्टैंड हो सकता है?

अगर डिफेंस कंपनी का प्रतिनिधि विपक्ष से नफ़रत करता है तो फिर वह सरकार पर लग रहे आरोपों को लेकर कैसे निष्पक्ष हो सकता है?

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