राफेल डील में बढ़ते विवाद की जांच हो या नहीं इसका फैसला आज सुप्रीम कोर्ट द्वारा किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में आज चीफ जस्टिस रंजन गोगोई समेत न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसफ की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।

इस मामले में याचिकार्ताओं की प्रमुख मांग इस विवादित डील को रद्द कर डील में हुए भ्रष्टाचार की जांच कराने की है। इस मामले में अधिवक्ता विनीत ढांडा, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह समेत पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिंहा, अरूण शौरी और अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने भी एक संयुक्त याचिका दायर की है।

शुरुआती दलील अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा रख रहे हैं। मनोहर लाल शर्मा ने न्यायालय में अपील की है कि यह समझौता अवैध है तथा इसकी जांच होनी चाहिए। साथ ही शर्मा ने इसी बात को लेकर कोर्ट से अपील की है कि इस मसले पर पांच जजों वाली बेंच सुनवाई करे।

आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह के वकील ने कोर्ट में राफेल विमान की कीमतों पर सरकार के पक्ष का कड़ा विरोध करते हुए कहा है कि 36 राफेल विमानों की डील की कीमतों का खुलासा दो बार संसद में किया जा चुका है। इसलिए सरकार कीमतों से जुड़े आंकड़ों को जनता के बीच सार्वजनिक नहीं करने का तर्क स्वीकार करने योग्य नहीं है।

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वहीं इस मामले में तीसरे याचिकार्ता पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिंहा, अरूण शौरी और अधिवक्ता प्रशांत भूषण की ओर से भी सरकार के याचिकार्ताओं को राफेल की कीमत ना बताने को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए प्रशांत भूषण ने कहा है कि जब सरकार संसद में डील की कीमतें बता चुकी है, तब कैसी गोपनीयता।

मोदी सरकार का यह बेमतलब का तर्क है कि वह 36 विमानों के दामों का खुलासा नहीं कर सकती, जबकि नई डील में राफेल विमान पहले के मुकाबले 40 फीसदी महंगा है।

इस मामले पर सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि- यह मामला विशेषज्ञों का है। कोर्ट तकनीक तय नहीं कर सकता। साथ ही चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने अटार्नी जनरल कोट्टयन कटंकोट वेणुगोपाल से पूछा, “क्या भारतीय वायु सेना का कोई अधिकारी कोर्ट में इस मसले पर सवालों का जवाब देने के लिए मौजूद है?

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क्योंकि हम वायु सेना के मामले पर बात कर रहे हैं और हमें इस मसले पर भारतीय वायु सेना के अधिकारियों से भी जानकारी चाहिए। इसी बीच राफेल डील में शामिल सबसे अहम राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉ एविएशन के सीईओ द्वारा समाचार एजेंसी एएनआई को दिया गया इंटरव्यू देश में चर्चा का विषय बना हुआ है।

सीईओ एरिक ट्रैपियर ने मोदी सरकार को इस मामले में अपनी ओर से क्लीनचिट दी है और कहा है कि डील में कुछ भी गड़बड़ नहीं है। मैंने पहले जो बयान पहले दिया था वही सच है। मेरी झूठ बोलने की छवि नहीं है। सीईओ के रूप में मेरी स्थिति में आप झूठ नहीं बोल सकते हैं।

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दरअसल राफेल डील पर कांग्रेस और विपक्ष कई दिनों से सवाल उठा रहें है। मोदी सरकार पर विपक्षियों ने आरोप लगाया है कि हर विमान को करीब 1670 करोड़ रुपये खरीद रही है जबकि यूपीए सरकार ने 126 राफेल विमानों की खरीद के लिए बातचीत कर रही थी उसने इसे 526 करोड़ में अंतिम रूप दिया था।

साथ ही समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में सीईओ एरिक ट्रैपियर द्वारा मोदी सरकार को क्लीनचिट दिए जाने के बाद कांग्रेस की तरफ से प्रवक्ता रनदीप सिंह सुरजेवाला ने डसॉ पर आरोप लगाते हुए कहा कि- इंटरव्यू फिक्सड है, बनावटी झूठ से सच नहीं दब जाता फ़ायदा लेने वाला और आरोपी- जज कैसे!

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