
मुंबई में प्राइवेट बिजली कंपनियों द्वारा बिजली दरों में वृद्धि के कारण आम लोगों में गुस्सा देखा जा रहा है। अब मुंबई में बिजली आपूर्तिकर्ता कंपनी अडानी ट्रांसमिशन पर आरोप है कि कंपनी ने इलेक्ट्रिसिटी की टेरिफ चुपचाप बढ़ा दी है।
साथ ही टेरिफ बढ़ने के कारण बिजली का बिल पहले की तुलना में दोगुना हो गया।
आपको बता दें कि राज्य में 1 सितंबर से महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग द्वारा नई बिजली दरें लागू की गई हैं। इन बढ़ी हुई दरों का विरोध पहले से ही किया जा रहा था।
विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि आयोग ने सरकारी बिजली कंपनी की दर में 6 से 8 प्रतिशत की कमी की है लेकिन उत्तर मुंबई में सप्लाई होने वाली अडानी इलेक्ट्रिसिटी और टाटा पावर की बिजली दर में 1 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।
भगोड़े मोदी-चौकसी के वकील जब BJP मंत्रियों के बच्चे हैं तो सोचो अंबानी-अडानी का कौन होगा? : सिद्धू
इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता संजय निरूपम ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा है कि जब से आपके प्रिय मित्र गौतम अडानी ने मुंबई उपनगर में रिलायंस एनर्जी ख़रीदी है, हमारा बिजली बिल दुगुना हो गया है।
बिल की प्रति साथ में है। पहले हमें अनिल अंबानी लूट रहा था, अब अडानी लूट रहा है। दोनों लुटेरे आपके ख़ास मित्र क्यों हैं?
Kind attention: Hon PM @narendramodi
जब से आपके प्रिय मित्र गौतम अडानी ने मुंबई उपनगर में रिलायंस एनर्जी ख़रीदी है, हमारा बिजली बिल दुगुना हो गया है।बिल की प्रति साथ में है।
पहले हमें अनिल अंबानी लूट रहा था,अब अडानी लूट रहा है।
दोनों लुटेरे आपके ख़ास मित्र क्यों हैं?#मोदीअदानी pic.twitter.com/TULTPNRAlk— Sanjay Nirupam (@sanjaynirupam) November 21, 2018
दरअसल उत्तरी मुंबई में गौतम अडानी की कंपनी अडानी ट्रांसमिशन और टाटा समूह की कंपनी टाटा पावर द्वारा बिजली की आपूर्ति की जाती है और दक्षिणी मुंबई में सरकारी कंपनी बेस्ट द्वारा बिजली की आपूर्ति की जाती है।
उत्तरी मुंबई में बिजली वितरण कंपनियों के खिलाफ पहले भी कई बार विपक्षी पार्टियों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया जा चुका है।
उद्योगपतियों की लूट का 1.77 लाख करोड़ जनता से वसूलेगी सरकार, कमर्शियल रेट पर मिलेगी बिजली
कांग्रेस महाराष्ट्र के नेता संजय निरूपम से लेकर कांग्रेस अध्यक्ष तक प्राइवेट कंपनियों के खिलाफ सड़क पर उतर कर प्रदर्शन कर चुकें है।
लेकिन सितंबर के बाद लागू हुई नई दरें प्राइवेट कंपनियों के पक्ष में होने के कारण सरकार एक बार फिर विपक्ष के निशाने पर है।