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दिल्ली हिंसा का मुख्य कारण भड़काऊ बयानबाज़ी को बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि नेताओं द्वारा दिए गए भड़काऊ बयानों की वजह से ही दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा फैली, जिसने आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 53 लोगों की जान ले ली और हज़ारों लोगों को बेघर कर दिया।

इसी के मद्देनज़र भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग भी की जा रही है। लेकिन सवाल ये है कि क्या दिल्ली में हुई हिंसा के लिए क्या सिर्फ भड़काऊ बयान देने वाले नेता ही ज़िम्मेदार हैं। क्या इन दंगों में उन न्यूज़ चैनलों की कोई भूमिका नहीं है, जो दिन-रात हिंदू-मुस्लिम डिबेट कर समाज में ज़हर घोलने का काम कर रहे हैं? क्या वह न्यूज़ चैनल इन दंगों के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं, जो देश के तमाम अहम मुद्दों को दरकिनार कर तथाकथित ‘जेहाद’ पर चर्चा कर लोगों में डर फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।

ऐसा ही एक चैनल है ज़ी न्यूज़, जो दिल्ली दंगों के बाद भी सांप्रदायिक नफ़रत फैलाने में एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाता नज़र आ रहा है। चैनल को दंगों के बाद अमन की तरफ़ लौट रही दिल्ली का सुकून खटक रहा है! इसीलिए वह अर्थव्यवस्था की सुस्ती से लेकर येस बैंक संकट और कोरोनो वायरस जैसी महामारी पर चर्चा करने के बजाए कथित जेहाद पर चर्चा करता दिखाई दे रहा है।

दरअसल, ज़ी न्यूज़ ने 11 मार्च को अपने प्राइम शो ‘DNA’ में ख़ुद से बनाए एक शब्द ‘ज़मीन जेहाद’ पर चर्चा की। इस दौरान शो के एंकर सुधीर चौधरी ने दर्शकों को ये समझाने की कोशिश की कि दुनिया में कितने तरह के जेहाद हैं, जिससे सतर्क रहने की ज़रूरत है। उन्होंने शो में दावा किया कि भारत में लव जेहाद की तरह ही ज़मीन जेहाद भी हो रहा है।

सुधीर ने बताया कि जम्मू कश्मीर में किस तरह से इस ज़मीन जेहाद को अंजाम दिया गया। उन्होंने दावा किया कि रोशनी एक्ट नाम के एक कानून के तहत सरकारी ज़मीनों पर अवैध कब्ज़ा करने वाले मुसलमानों को ही ज़मीन का असली मालिक बना दिया गया। एंकर ने दावा किया कि इसी जेहाद के दम पर पाकिस्तान भारत को तोड़ने का सपना देख रहा है।

सुधीर ने अपने शो में जेहाद को लेकर कई बड़े दावे किए। उन्होंने एक चार्ट के ज़रिए दर्शकों को बताने की कोशिश की कि देश को तोड़ने के लिए किस तरह से मुसलमान हर स्तर पर जेहाद कर रहे हैं। शो में एंकर ने जेहाद की उन किस्मों पर बात तो की, जो उसने ख़ुद बनाई है, लेकिन पूरे शो में उन्होंने ये नहीं बताया कि जेहाद आख़िर है क्या?

काल्पनिक चार्ट को बनाने वाली शो की टीम ने रोशनी एक्ट से जुड़े मामलों की फाइलें तो निकाल लीं, लेकिन चर्चा के मुद्दे (जेहाद) पर ही रिसर्च नहीं की। टीम ने जेहाद से जुड़ी दो-तीन किताबें भी पढ़ ली होतीं, तो उसे पता चलता कि जिस जेहाद का वो प्रोपेगेंडा चला रहे हैं, वह तो मौजूद ही नहीं।

चैनल अपने दर्शकों को जेहाद के वही मायने बता रहा है जो अल क़ायदा और आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठनों ने दुनिया को बताया है। अब इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि ख़ुद को ज़िम्मेदार कहने वाले ज़ी न्यूज़ की जानकारी का सोर्स किताबें नहीं बल्कि आतंकी संगठन हैं! क्या चैनल का मक़सद भी आतंकी संगठनों की तरह लोगों में डर बैठाना और समाज में नफ़रत फैलाना है?

By: Asif Raza

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