उत्तर प्रदेश से एक हैरान करने वाली खबर सामने आई है। जहां यूपी के बांदा जिले की सिविल महिला जज के साथ यौन उत्पीड़न और मानसिक प्रताड़ना जैसी परेशान करने वाली घटना सामने आई है। जिससे परेशान होकर महिला जज ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लेटर लिखकर अपनी आत्महत्या के लिए अनुमति मांगी है।

यूपी की इस घटना ने देश और प्रदेश में लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। अगर यूपी में एक महिला जज जब सुरक्षित नहीं है फिर आम महिलाओं की सुरक्षा कैसे संभव है?

यूपी के बांदा जिले में तैनात सिविल जज जिनका नाम अर्पिता साहू है। उन्होंने अपने साथ हुए यौन दुर्व्यवहार से परेशान होकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखकर अपनी इक्षा मृत्यु के लिए गुहार लगाई है।

यह मामला तब सामने आया जब महिला जज द्वारा लिखा हुआ पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। महिला ने अपने पत्र में मुख्य रूप से यहीं लिखा है कि- “पत्र लिखने का उद्देश्य यहाँ सिर्फ मेरी कहानी बताना और अपने आत्महत्या के लिए अनुमति मांगा है।”

साथ ही महिला जज ने अपने उस दर्द भरे पत्र में लिखा है -“मैं बहुत उत्साह के साथ भारत के न्यायिक सेवा में शामिल हुई थी। मैंने कभी नहीं सोचा था कि आम लोगों को कभी न्याय दिला पाऊँगी, लेकिन मुझे क्या पता था कि अपने ही न्याय के लिए हर दरवाजे का भिखारी बन जाउंगी।”

दरअसल बांदा जिले की सिविल जज अर्पिता साहू ने मुख्य न्यायधीश को लिखे पत्र से पहले इलहाबाद हाई कोर्ट में पिछले साल शिकायत कर चुकी हैं। जिसके बाद वहां से किसी भी तरह की त्वरित कार्रवाई ना होने के बाद परेशान होकर महिला जज ने देश के सर्वोच्य न्यायालय के जज को पत्र लिखकर अपनी इक्षा मृत्यु के लिए गुहार लगाई है।

मुख्य न्यायाधीश को लिखे अपने लिखे पत्र में महिला जज ने कहा है- “मैं बहुत निराश मन से यह पत्र लिख रही हूँ। मैंने कभी नहीं सोचा था कि इस स्तर पर भी किसी जज को प्रताड़ित किया जाएगा। मुझे आधी रात को भी जिला जज से मिलने के लिए कहा जाता था। जहाँ मुझे शारीरिक और मानसिक रूप से परेशानी झेलनी पड़ती थी।”

बांदा जिले में तैनात महिला सिविल जज ने अपनी व्यथा इस पत्र के माध्यम से बताकर कहीं न कहीं यूपी भाजपा सरकार की पोल खोल दी है। जहाँ भाजपा सीएम अजय सिंह बिष्ट उत्तर प्रदेश को भय मुक्त बनाने की जमकर बातें करते हैं।

साथ ही यूपी के सीएम अजय सिंह बिष्ट ऐलान करते हैं कि उनके राज्य में अब महिलायें सबसे सुरक्षित महसूस करती हैं। वें रात को किसी भी वक्त बाहर घूम सकती हैं। जबकि पिछले महीने वाराणसी के बीएचयू कैंपस में ही एक लड़की के साथ जबरन बलात्कार और मोबाईल फोन से पीड़िता की नग्न तस्वीरें ली गई।

उस घटना में शामिल अपराधियों को आज तक यूपी पुलिस गिरफ्तार नही कर पाई है। उसके बाद अब एक महिला जज के साथ इस तरह का घिनौना यौन शोषण का मामला सामने आया है। जहाँ महिला सिविल जज अपनी आत्मह्त्या करने के लिए अनुमति मांग रही है।

अब योगी सरकार पर लोग जमकर सवाल उठा रहे हैं। जिस राज्य में एक महिला जज जब सुरक्षित नही रह सकती है वहां भला एक आम महिला खुद को कैसे सुरक्षित समझ सकती है?

देश के पीएम संसद में महिला बिल पास कराने की बातें कर रहे हैं। वहीं उनके ही पार्टी के शासनकाल में महिलाओं के साथ बलात्कार, यौन हिंसा जैसी घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है। अब एक महिला सिविल जज के साथ हुई इस तरह की शर्मनाक घटना ने भाजपा और योगी सरकार को महिलाओं के लिए किये जा रहे झूठे वादे का पोल खोल दी है।

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