मोदी सरकार द्वारा देश के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट में अडानी को वरीयता दी जाती है, ये सब जानते हैं। लेकिन ये सब नहीं जानते होंगे कि सरकार और अडानी का ये गठबंधन विदेश में भी चल रहा है।

दरअसल, अडानी की कंपनी को श्रीलंका में पावर प्रोजेक्ट का काम मिला है। श्रीलंका के सरकारी सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (सीईबी) अध्यक्ष एमएमसी फर्डिनेंडो ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने इस काम में अडानी की मदद की है।

उन्होंने अपने बयान में कहा कि अडानी समूह को विंड पावर प्रोजेक्ट देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे पर दबाव डाला था।

बता दें, देश के मन्नार और पूनरिन क्षेत्रों में विंड पावर प्रोजेक्ट को डेवेलप किया जाएगा किया जाएगा। इसका काम मिला है अडानी की कंपनी एजीएल (अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड) को।

सीईबी ने अख़बार डेली एफटी को जारी किए गए स्पष्टीकरण में कहा था, “अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) के लिए भारत सरकार द्वारा की गई सिफारिश पर विचार किया है। बोर्ड ऑफ़ इन्वेस्टमेंट के लिए एजीईएल को पॉलिसी क्लीयरेंस दिया गया है।”

सीईबी के साथ एजीईएल के बीच साइन किए गए सहमति पत्र के अनुसार एजीईएल द्वारा विंड पावर परियोजनाओं की सटीकता का अध्ययन किया जाएगा।

कुछ दिन पहले कांग्रेस ने मोदी सरकार से सवाल करते हुए लिखा था, “श्रीलंका के बिजली विभाग के मुखिया ने दावा किया था कि अडानी ग्रुप को श्रीलंका में एक पवन ऊर्जा प्रोजेक्ट पीेएम मोदी के कहने पर दिया गया था।

क्या ED में हिम्मत है कि वो इन आरोपों को लेकर पीएम मोदी को समन जारी करें?”

एक अन्य पोस्ट में यूपी कांग्रेस सेवादल ने लिखा, “अपने दोस्तों के लिए सेल्समैन बने हुए हैं पीएम मोदी।”

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