
अफगानिस्तान में चल रहे सत्ता परिवर्तन के खेल पर पूर्व सांसद पप्पू यादव ने भारत सरकार की भूमिका पर सवाल खड़ा किया है और केंद्र सरकार को कमजोर नेतृत्व वाला करार दिया है.
जन अधिकार पार्टी लोकतांत्रिक के संरक्षक और पूर्व सांसद पप्पू यादव ने ट्वीटर के जरिए लिखा है कि
‘हमारा भरोसेमंद पड़ोसी मित्र देश अफगानिस्तान आतंकी तालिबान के जरिए पाकिस्तान और चीन के हाथों में चला गया. वहीं इस मुद्दे पर भारत के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री सब मौन साधे बैठे हुए हैं.’
पप्पू यादव ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि इतना कमजोर नेतृत्व और इतनी सड़ी हुई विदेश नीति कभी नहीं देखी गई.
इसके साथ ही बांग्लादेश के निर्माण में दिवंगत पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के योगदान की चर्चा करते हुए पप्पू यादव ने कहा कि झूठ और साजिश से फुरसत मिले तब तो ये पीएम का काम जानेंगे. जुमलों के विश्व गुरु को इंदिरा जी से सीखना चाहिए. बांग्लादेश का इतिहास पढ़ना चाहिए.
हमारा भरोसेमंद पड़ोसी मित्र देश अफगानिस्तान आतंकी तालिबान के जरिए पाकिस्तान-चीन के हाथ में चला गया।
अबतक PM,विदेश मंत्री सब मौन!इतना कमजोर नेतृत्व,इतनी सड़ी विदेश नीति!
झूठ-साजिश से फुर्सत हो तब न PM का काम जानेंगे!जुमलों के विश्वगुरु इंदिरा जी से सीखो,बंगलादेश का इतिहास पढ़ो!
— Pappu Yadav (@pappuyadavjapl) August 16, 2021
मालूम हो कि भारत और अफगानिस्तान एक दूसरे के पड़ोसी देश हैं और दोनों ही प्रमुख दक्षिण एशियाई देश हैं.
21वीं सदी में तालिबान के पतन होने के बाद से दोनों देशों के संबंधों में और मजबूती और रिश्तों में प्रगाढ़ता देखने को मिल रही थी. भारत और अफगानिस्तान के बीच काफी मैत्रीपूर्ण रिश्ते रहे हैं.
डॉ मनमोहन सिंह सरकार के दौरान दोनों देशों के बीच कई प्रकार के समझौते हुए थें. इनमें सामरिक मामले, खनिज संपदा की साझेदारी और तेल एवं गैस आदि की खोज जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल थें.
भारत और अफगानिस्तान लगातार वैश्विक मुद्दों पर एक दूसरे का समर्थन करते रहे हैं. अफगानिस्तान और भारत के बीच दक्षिण एशिया उपग्रह पर कक्षा आवृति समन्वय करार भी है.
इसके साथ ही दोनों देशों के बीच पुलिस प्रशिक्षण और रेलवे केइ क्षेत्र में तकनीकी सहयोग को लेकर भी करार जारी है.
ऐसे में पूर्व सांसद पप्पू यादव का सवाल जायज भी है कि आखिर क्यों भारत सरकार अफगानिस्तान में सत्ता हस्तांतरण के मुद्दे पर चुप क्यों हैं!
जिस तालिबान के हाथों में अफगानिस्तान की सत्ता गई है, उसे आतंकी संगठन माना जाता है, जो पूर्ण रुप से कट्टरवादी व्यवस्था के तहत काम करती है.
ऐसे में जो भारतीय या धार्मिक अल्पसंख्यक अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं, कम से कम उनके लिए भारत सरकार को आवाज उठानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा होता हुआ दिख नहीं रहा है.
सत्ता परिवर्तन के बाद अफगानिस्तान में फंसे सिक्खों की सुरक्षा के लिए पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह को आगे आना पड़ा है जबकि ये दायित्व केंद्र सरकार का है. केंद्र सरकार किस विदेश नीति के तहत काम कर रही है, ये समझ से परे है.