
Tanya Yadav
भारत के मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी के निधन पर देश के बाद अब विदेश से भी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। संयुक्त राष्ट्र से लेकर यूरोपीय संघ तक के अधिकारी उनकी मौत पर शोक़ व्यक्त करने के साथ-साथ मोदी सरकार पर सवाल उठा रहे हैं।
मानवाधिकार पर यूएन (संयुक्त राष्ट्र) की विशेष दूत मैरी लॉलर ने स्वामी की मौत पर सवाल उठाते हुए लिखा, “आज भारत से दिल दहलाने वाली खबर आई है। मानवाधिकार रक्षक फादर स्टेन स्वामी की कस्टडी में मौत हो गई है।
उन्हें नौ महीने तक आतंकवाद के झूठे आरोपों में हिरासत में रखा गया। मानवाधिकार कार्यकर्ता को गिरफ्तार करना माफ़ी लायक नहीं है।”
The news from #India today is devastating. Human Rights Defender & Jesuit priest Fr Stan Swamy has died in custody, nine months after his arrest on false charges of terrorism. Jailing HRDs is inexcusable. He explains his work here: https://t.co/kKPhM6IaHu pic.twitter.com/YoEpst0ol2
— Mary Lawlor UN Special Rapporteur HRDs (@MaryLawlorhrds) July 5, 2021
इसके अलावा मानवाधिकारों के लिए यूरोपीय संघ (EU) के विशेष प्रतिनिधि इमोन गिलमोर ने भी स्वामी की मौत पर संदेह ज़ाहिर करते हुए कहा, “फादर स्टेन स्वामी की मौत के बारे में सुनकर मुझे बहुत दुःख हुआ।
वह स्वदेशी लोगों के अधिकारों के रक्षक थे। उन्हें पिछले 9 महीनों से हिरासत में रखा गया था। यूरोपीय संघ बार-बार अधिकारियों के सामने उनका मामला उठाता रहा है।”
दरअसल, फादर स्टेन स्वामी के खिलाफ भीमा कोरेगांव मामले मामले में केस दर्ज हुआ था। वह अंडर-ट्रायल थे, और पिछले 9 महीनों से हिरासत में थे।
स्वामी 84 वर्षीय थे और अदालत के आदेश के बाद मुंबई के होली फॅमिली अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था।
फादर वेंटीलेटर सपोर्ट पर थे। उनके डॉक्टर ने बताया कि “शनिवार को 4.30 बजे स्वामी को कार्डियक अरेस्ट हुआ।
और मंगलवार की दोपहर 1.30 बजे उनका निधन हो गया। सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए कई लोगों ने उनकी मौत को मर्डर बताया है।
‘लाइव लॉ’ की खबर के अनुसार, वो पार्किंसंस रोग और अन्य रोगों से जूझ रहे थे। इलाज के दौरान वह कोरोना पॉजिटिव भी पाए गए थे। इसके साथ-साथ उनके हर्निया के भी ऑपरेशन हो रखे थे।
स्वामी आदिवासियों को सशक्त बनाने के लिए समर्पित संगठन ‘बगैचा’ के संस्थापक थे।
ध्यान देने वाली बात है कि बॉम्बे हाई कोर्ट में फादर स्टेन स्वामी की जमानत पर सुनवाई होने वाली थी। उनका स्वास्थ्य बेहद खराब था। अंतरराष्ट्रीय पटल पर कहा जा रहा है कि उन्हें “आतंकवाद के झूठे आरोपों” में कैद किया गया था।
फादर स्वामी को राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NIA) ने भीमा कोरेगाव हिंसा मामले में अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार किया था। 31 दिसंबर, 2017 में पुणे में एलगार परिषद के कार्यक्रम में दिए गए भाषणों को आधार बनाते हुए स्टेन स्वामी पर केस दर्ज किया गया था।