
कोरोना वायरस के डर से यूँ तो शहरों से अपने गांव की ओर पलायन करने वाले लाखों गरीब मजदूर हैं। मजदूरों में से कोई पिता है, कोई माँ है तो कोई मासूम बच्चा है। सबकी अपनी कहानी है, इस संकट के समय सभी अपने घर के आंगन का दीदार करने के लिए सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय कर रहे हैं। लेकिन इन सबमें भी मां और उनके बच्चों के लिए ये सैकड़ों मील के रास्ते धरती से चांद तक का सफर बन गया है।
ऐसी ही एक मार्मिक कहानी गोरखपुर से आई है। यूपी के बस्ती जिले में रहकर पेट पालने वाली एक बेघर माँ अपने छोटे बच्चे के साथ देवरिया पैदल ही निकल पड़ी। जब पूरा शहर अपने घरों में रहने को मजबूर है तो ये माँ-बेटे सड़कें नाप रहे थे।
बस्ती से गोरखपुर 80 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद बच्चा बीच सड़क पर अपनी माँ का पैर पकड़ कर बैठ गया। मानों बच्च अपनी माँ से कह रहा हो, “बस माँ अब मैं थक गया, और नहीं चल सकता।”
सोशल मीडिया पर ये अखबार की कटिंग खूब वायरल हो रही है। जो भी इस खबर को पढ़ रहा है उसकी आंखें नम होने के साथ-साथ सरकार के प्रति गुस्सा भी है। आखिर क्यों इन गरीब लोगों की सुध नहीं ली जाती?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरे देश में लॉकडाउन करने का ऐलान काट दिया है, जिसकी वजह से पुब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद हैं। इसीलिए मजदूर साधन ना मिलने की वजह से पैदल ही अपने गांव की ओर लौट रहे हैं। हालांकि यूपी सरकार ने पलायन की भयावहता को देखते हुए शनिवार को 1000 बसें चलाने का फैसला लिया है।