शीर्ष निजी ऊर्जा कंपनियों के एक समूह की पैरवी पर, कोयला मंत्रालय ने पर्यावरण मंत्रालय की अवहेलना करके देश के सबसे घने वन क्षेत्रों में खनन की अनुमति दी, द रिपोर्टर्स कलेक्टिव द्वारा दस्तावेजों के अध्ययन में यह बात सामने आई है।

एसोसिएशन ऑफ पावर प्रोड्यूसर्स (एपीपी) ने नवंबर 2021 में कोयला मंत्रालय को पत्र लिखकर मांग की कि भारत के सबसे घने जंगलों में से एक में स्थित दो कोयला ब्लॉकों को नीलामी के लिए उपलब्ध कराया जाए।

तब चर्चा गर्म थी कि देश में कोयले की कमी होने वाली है, और एपीपी ने अपने पत्र में कहा कि ऐसी स्थिति से निबटने के लिए तैयार रहना चाहिए। लेकिन यह लॉबिंग शुरू से ही एपीपी के सदस्य अडानी समूह को लाभ पहुंचाने के लिए हो रही थी।

जिन दो ब्लॉकों के लिए एसोसिएशन ने पैरवी की, उनमें से एक मध्य प्रदेश के सिंगरौली कोयला क्षेत्र में स्थित है। यह एक थर्मल पावर प्लांट के निकट है जिसका अधिग्रहण अडानी समूह ने मार्च 2022 में किया था। दूसरा छत्तीसगढ़ के प्राचीन हसदेव अरंड के जंगलों में स्थित है, और इसके आस-पास के ब्लॉकों में अडानी समूह द्वारा खनन किया जाता है।

कोयला मंत्रालय ने न केवल एसोसिएशन की मांग पर कार्रवाई की, बल्कि पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 2018 में दिए गए उन सुझावों की समीक्षा पर भी जोर दिया जिनमें कहा गया था कि इन दो ब्लॉकों में से एक समेत 15 कोयला ब्लॉकों को खनन हेतु नीलामी से बाहर रखा जाना चाहिए, क्योंकि वह ऐसे क्षेत्रों में स्थित हैं जहां जैव-विविधता बहुत अधिक है और उसका संरक्षण जरूरी है।

इस समीक्षा का मार्ग प्रशस्त करने के लिए कोयला मंत्रालय ने केंद्रीय खान योजना एवं डिजाइन संस्थान (सीएमपीडीआई) को यह पता लगाने का काम सौंपा कि क्या जंगलों से छेड़छाड़ किए बिना, इन 15 ब्लॉकों के कुछ हिस्सों को खनन के लिए अलग किया जा सकता है।

कोयला मंत्रालय से संबद्ध सीएमपीडीआई को इसकी वेबसाइट पर “खनिज और खनन क्षेत्र का विशेषज्ञ सलाहकार” बताया गया है। कोयला मंत्रालय को दी गई प्रस्तुति में संस्थान ने स्पष्ट रूप से कहा कि इन 15 कोयला ब्लॉकों में से किसी में भी खनन नहीं किया जा सकता क्योंकि यह बहुत घने जंगलों के बीच स्थित हैं।

लेकिन कोयला मंत्रालय ने अपने ही विशेषज्ञ वैज्ञानिक संस्थान की सलाह को खारिज कर दिया। पर्यावरण मंत्रालय के साथ पत्राचार में कोयला मंत्रालय ने सीएमपीडीआई के सुझावों के प्रमुख हिस्सों को छोड़ दिया और इस विषय पर संस्थान के विचारों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया।

यहां तक ​​कि कोयला मंत्रालय ने अपने पत्रों में एपीपी की दलीलों को भी वैसे ही दोहराया। आखिर कोयला मंत्रालय ने पर्यावरण मंत्रालय द्वारा प्रतिबंधित 15 कोयला ब्लॉकों में से चार में खनन की अनुमति दे दी। इनमें मध्य प्रदेश का एक ब्लॉक भी था जिसके लिए एपीपी ने विशेष रूप से पैरवी की थी।

बीते 3 साल में छत्तीसगढ़ में 67,000 यात्री ट्रेनें रद्द की गई. इस पर राज्य के लोगों के बीच चर्चा है कि- कोयला लाने-ले जाने में अडानी को दिक्कत ना हों इसलिए ट्रेनें रद्द की जाती हैं.RTI की जानकारी बताती भी है कि- जब कोरोना में सब बंद था, तब भी अडानी का कोयला परिवहन जारी था।

वहीं Hindenburg ने आरोप लगाया है कि अड़ानी समूह लंदन के एक बड़े अख़बार के पत्रकार को निशाना बना रहा है। माना जा रहा है कि अख़बार और पत्रकार अड़ानी समूह के खिलाफ एक नई स्टोरी पर काम कर रहे हैं जो कुछ दिनों में प्रकाशित होने वाली है। अड़ानी समूह का कहना है कि विदेशी अख़बार पुरानी खबर को ही दोबारा एक साज़िश के तहत प्रकाशित करना चाहता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here