
एक पत्रकार के इस्तीफ़े और उसके बाद उसके वीडियो ने एक बार फिर मीडिया समूहों को कटघरे में खड़ा कर दिया है. पत्रकार ने वीडियो बनाकर जो गंभीर आरोप लगाए हैं वो आज की पत्रकारिता की कलई खोलने के लिए काफ़ी हैं.
जिस पत्रकार का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है उनका नाम अनिल यादव है. वो लखनऊ में न्यूज़ नेशन में काम करते थे.
न्यूज़ नेशन से इस्तीफ़ा देने के बाद अनिल यादव ने सोशल मीडिया पर जो वीडियो पोस्ट किया है वो हैरान करने वाला तो कतई नहीं है लेकिन उससे एक बात साफ़ पता चलती है कि पत्रकारिता अब सत्ता पक्ष की पक्षकार बन गई है.
अनिल यादव वीडियो में कहते हैं कि समाचार चैनल न्यूज़ नेशन के पास पत्रकारों के लिए स्थायी निर्देश हैं कि वे बीजेपी सरकारों, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ या अन्य किसी बीजेपी नेता के लिए किसी भी तरह के आलोचनात्मक शब्दों का इस्तेमाल नहीं करेंगे.
वीडियो में अनिल यादव कहते हैं कि पिछले पांच सालों में स्थिति बहुत भयावह हो गई है, मुझे खुद को पत्रकार कहने में शर्म आती हैं, मैं एक नौकर हूं. अगर आप किसी नेता या उनकी नीति की आलोचना करना चाहते हैं तो उसके लिए राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मायावती और अखिलेश यादव हैं.
इतना ही नहीं अनिल यादव ने दावा किया कि न्यूज़ नेशन को यूपी सरकार से सालाना 17-18 करोड़ रुपए का राजस्व मिलता है.
और यही वजह है कि न्यूज़ नेशन के साथ साथ इसका रीजनल चैनल स्टेट न्यूज़ उनके खिलाफ़ कुछ नहीं बोल सकते हैं. वो कहते हैं कि अगर आप ऐसा करते हैं तो हमारे पास एक मेल आएगा या हमारी नौकरी खतरे में पड़ जाएगी.
नेश्नल न्यूज़ चैनल के प्राइम टाइम पर चलने वाली हिंदू-मुस्लिम डिबेट पर भी यादव सवाल खड़े करते हैं. वो कहते है कि न्यूज़ नेशन के संवाददाताओं पर मुसलमानों से संबंधित खबरें लाने का दवाब है.
कहा जाता है कि मुसलमानों से संबंधित विवाद पता लगाएं, मुसलमानों को उकसाएं, उन्हें विवादास्पद बयान देने के लिए कहें.
वीडियो में निष्पक्ष काम ना कर पाने की टीस साफ़ नज़र आती है, अनिल यादव ने कहाकि चैनल के पत्रकारों को अपने मन से ना तो सोचने, न तो बोलने और ना लिखने या कहने की आज़ादी है, सोशल मीडिया पर भी वह एक शब्द नहीं लिख सकते हैं.