Tanya Yadav

हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय में 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई को बंद करने का निर्णय लिया गया है, जिसकी वजह आर्थिक तंगी बताई जा रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में दृष्टि बाधित छात्रों के लिए एक स्कूल है जिसका नाम है श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय। अब इस ब्लाइंड स्कूल में कक्षा 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई को हमेशा के लिए बंद किया जा रही है। इस फैसले का ठीकरा आर्थिक तंगी और छात्रों की उदंडता पर फोड़ा जा रहा है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि स्कूल का लगभग 60% फंड सरकार की तरफ से आता है। बाकी का बचा फंड ‘श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार समृद्धि सेवा ट्रस्ट’ जुटाती है। इसका मतलब प्रधानमंत्री मोदी अपने ही क्षेत्र के दृष्टिबाधित बच्चों की पढ़ाई सुनिश्चित नहीं कर पा रहे हैं। यही उनका कथित ‘दिव्यांग’ बच्चों के लिए तोहफा है?

कोरोना महामारी के चलते ये छात्र कहीं और दाखिला भी नहीं ले सकते। उनकी प्रतिभा को मौका न देकर उनका भविष्य अंधकार में ढकेला जा रहा है।

आपको बता दें कि स्कूल के प्रशासन द्वारा 9वीं से 12वीं कक्षा तक के बच्चों के घर चिट्ठी भेजी गई है। इस चिट्ठी में लिखा है कि कार्यकारिणी समिति ने इन कक्षाओं को आर्थिक तंगी के चलते बंद करने का फैसला लिया है। समिति का दावा है कि उसे सरकार से पिछले डेढ़ सालों में कोई फंड नहीं मिला है।

कुछ लोगों का तो यह भी कहना है कि छात्र उदंड है इसलिए उन्हें पढ़ाया नहीं जा सकता। हालांकि, इस को चिट्ठी में इस बात का ज़िक्र नहीं है। साथ ही, प्रशासन का कहना है कि पूरे स्कूल को ही बंद करा जाना था। लेकिन अभी सिर्फ़ 9वीं से 12वीं तक कक्षाओं को ही बंद किया जा रहा है।

दोनों ही वजह बेबुनियाद लगती है। पहला तो, उद्दंडता के नाम पर स्कूल बंद नहीं हुआ करते हैं। दूसरा, स्कूल के पूर्व छात्रों का कहना है कि स्कूल की तरफ से फाइल देरी से भेजी जा रही है। इसीलिए सरकार की तरफ़ से पैसा भी देरी से आता है। स्कूल के फैसले को गलत बताते हुए सरकार को भी पत्र लिखा गया है।

पूर्व छात्र शशि भूषण का कहना है कि “इससे पहले भी कई बार स्कूल को बंद करने की कोशिश की जा चुकी है। ये मामला आर्थिक तंगी या छात्रों के उद्दंडता का नहीं है। इसके तार ऊपर तक जुड़े हैं।”

यकीनन इसके तार ऊपर तक जुड़े हैं, स्वयं प्रधानमंत्री मोदी तक जुड़े हैं। कोरोना महामारी के बीच ब्लाइंड स्कूल की कक्षाओं का बंद होना ही उनका ‘दिव्यांग’ को तोहफा है। यही उनके वादों का सच है।

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