
जागृति
4 मार्च को रेल मंत्रालय ने महिला कुलियों को सलाम करते हुए एक ट्वीट किया। जिसमें कहा गया कि ‘इन महिलाओं ने साबित किया है कि वह किसी से कम नहीं हैं’। इस पर तमाम प्रतिक्रियाएं भी आयीं।
बॉलीवुड अभिनेता वरुण धवन ने इसे रिट्वीट करते हुए लिखा- #coolieno1 । वहीं कांग्रेस के नेता शशि थरूर ने रेल मंत्रालय की आलोचना करते हुए लिखा कि ‘यह अपमानजनक है। रेल मंत्रालय शर्म करने को बजाय इसकी सेखी बघार रहा है।
This is a disgrace. But instead of being ashamed of this primitive practice, our @RailMinIndia is proudly boasting of this exploitation of poor women to carry heavy head loads?! https://t.co/qPvqjBfarw
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) March 4, 2020
अब सवाल है कि बोझ उठाना सशक्त होने की परिभाषा हो सकती है? क्या यह सरकार की विफलता नहीं है? जहां बोझ ढ़ोने को रोजगार बताया जा रहा हो! बोझ ढ़ोना मजबूरी का पर्याय हो सकता है, सशक्तिकरण का नहीं। अगर इन महिलाओं को सामान अवसर मिले होते, शिक्षा मिली होती तो हो सकता है वह किसी और प्रोफेशन को चुनतीं।
इन महिलाओं को सलाम किया जा सकता है लेकिन आजादी के 70 सालों बाद भी आप कितना सशक्त कर पाएं हैं इससे ये साफ हो जाता है। यह बेरोजगारी को दिखाता है। आने वाले 8 मार्च को जब पूरा विश्व महिला दिवस मना रहा होगा तब क्या हम महिला सशक्तिकरण की ऐसी परिभाषा देंगे?
अगर आप इस परिभाषा से आप खुश हैं तो मुझे आपसे कुछ नहीं कहना! आज शिक्षा क्षेत्र की स्थिति किसी से छुपी नहीं है ज्यादातर शिक्षा निजी हाथों में जा रही है, प्रोफेसनल कोर्स महँगे कर दिए गयें हैं। और हम आज भी पितृसत्तात्मक समाज में रह रहे हैं जहाँ महिला दोयम दर्जे की नागरिक है ऐसे में लड़के घर की प्रथमिकता होते हैं और माता-पिता अगर एक बच्चे को पढ़ाने में सक्षम हैं तो वो लड़के को चुनते हैं।
इसका सीधा मतलब है कि सरकारें अभी भी महिलाओं को शिक्षा देने में नाकाम है शिक्षा का सवाल सीधे रोजगार से जुड़ा है।आँकड़ो की माने तो महिला श्रमबल में कमी आयी है PLFS जारी आंकड़े के अनुसार महिलाओं की भागीदारी दर 49.4 फीसदी से घटकर 2011-12 में 35.8 फीसदी पर आ गई और 2017-18 में यह घटकर 24.6 फीसदी पर पहुंच गई है।
अब यहाँ समझना है कि मंत्रालय द्वारा इस तरह का ये ट्वीट कितना उचित है और महिला सशक्तिकरण की के किस रूप को दिखाता है। इतना तो साफ तौर पर कहा जा सकता है कि बोझ ढोना कहीं से भी रोजगार की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।