देश में न्यायालयों से टूटती न्याय की आस कभी कभी जीवित हो जाती है। दिल्ली दंगे में दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस मुरलीधर की दुनियाभर में तारीफ हो रही है।

लेकिन आधी रात में उनका तबादला न्याय की उम्मीद में न्यायपालिका की ओर देखते लोगों के लिए एक झटका भी है। जिसको न्यायालयों को बरकरार रखना पड़ेगा।

दिल्ली हाईकोर्ट के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट Allahabad Highcourt के चीफ जस्टिस की भी जमकर तारीफ हो रही है। आज चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने लखनऊ में लगे पोस्टरों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए योगी सरकार को मुश्किलों में डाल दिया है।

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने पूछा है कि, किस कानून के तहत इन पोस्टरों को लगाया गया है ?

इसका जवाब 8 मार्च यानि आज देना है। लखनऊ के जिलाधिकारी सहित डीविजनल पुलिस कमिश्नर को जवाब देने के लिए कोर्ट ने नोटिस जारी किया है ।

इस मामले की मीडिया में काफी आलोचना हो रही थी। जिसको देखते हुए खुद चीफ जस्टिस ने संज्ञान लिया।

सबसे बड़ी बात मामले की गंभीरता को देखते हुए छुट्टी के दिन सुनवाई के लिए कोर्ट तैयार हुआ।

दरअसल लखनऊ Lucknow प्रशासन ने दो दिन पहले पूरे शहर में जगह जगह होडिंग्स लगा दी। जिसमें CAA-NRC विरोध करने वालों की तस्वीरे लगी हुईं थी।

जिसमें 19 दिसंबर को लखनऊ में CAA-NRC के विरोध प्रदर्शन में शामिल पूर्व आईपीएस, राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित आमलोगों की तस्वीरे थी।

जबकि इनमे से तमाम लोगों को कोर्ट से जमानत भी मिल चुकी है।

पूर्व आईपीएस अफसर एस आर दारापुरी ने सवाल उठाया था। जिसके अलावा कांग्रेस की नेता सदफ जफर का भी पोस्टर लगाया गया था।

सदफ जफर ने पोस्टर पर सवाल उठाते हुए लिखा था कि,
आज किसी अपने ने फिक्रमंद होकर कहा तुम मान भी तो नहीं रही हो, जेल से निकलकर लगातार आंदोलनों में शरीक़ हो।
मैंने कहा कि जो आंदोलन में शरीक़ नहीं हैं वो बच जाएंगे ये गारंटी किसने दी? दिल्ली में जो मारे गए क्या सब धरने पर बैठे थे, दुकानें घर जो फूँके गए वो क्या आंदोलनकारियों के थे?
मौत से पहले मरना अब तो और भी गवारा नहीं है मुझे।

आपको बता दें कि, एंटी सीएए प्रदर्शनकारियों के साथ भाजपा शासित राज्यों में लगातार ऐसी घटनाएं देखने को मिल रही हैं।

 

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