पिछले दस सालों में हुई सांप्रदायिक हिंसा पर गौर करें तो कुल घटनाओं की UPA-2 में 10 % और NDA में 90% हिस्सेदारी है

मोदी सरकार के ऊपर लगातार ये आरोप लग रहा है कि उसके उसके सत्ता में आने के बाद देश में धार्मिक नफरत और उसके नाम पर हिंसा बढ़ी है।

हालाँकि, सरकार इस बात को नकारती रही है। लेकिन अब जो डाटा सामने आया है वो सरकार पर लगे आरोपों को मज़बूत आधार देती है।

Factchecker.in के मुताबिक, जनवरी 2009 से अक्टूबर 2018 तक देश में धार्मिक नफरत के नाम पर 91 लोगों को मारा गया और 579 लोग घायल हुए। इनमें से 90% से ज़्यादा हमले मई 2014, के बाद हुए हैं। ये डाटा ‘द सिटिज़न रिलीजियस हेट क्राइम वॉच’ से लिया गया है।

यानी पिछले दस सालों में हुई सांप्रदायिक हिंसा पर गौर करें तो कुल घटनाओं की UPA-2 में 10 % और NDA में 90% हिस्सेदारी है ।

इस सरकार पर ये भी आरोप है कि इसके आने के बाद देश में अल्पसंख्यक समाज साम्प्रदायिक हमलों का शिकार ज़्यादा हुआ है। डाटा भी यही कहता है। डाटा के मुताबिक, इन साम्प्रदायिक हमलों में 62% पीड़ित मुस्लिम और 14% इसाई रहे हैं।

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इन हमलों में 172 ऐसे हैं जिसमें हमला करने वाले समुदाय की पहचान हो गई। इन हमलों में 86% मामलों में हमला करने वाले हिन्दू समुदाय से रहे। 13% मामलों में हमला करने वाले मुस्लिम रहे।

गौरतलब है कि इससे पहले संयुक्त राष्ट्र संघ भी अपनी कई रिपोर्टों में कह चुका है कि मोदी सरकार के आने के बाद भारत में साम्प्रदायिक हिंसा बढ़ी है।

इसकी जांच के लिए संयुक्त राष्ट्र से एक प्रतिनिधि दल भी भारत आने वाले था लेकिन केंद्र सरकार ने इस बात की अनुमति नहीं दी।

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