“न सिर्फ जो कानूनी कार्रवाई करेंगे उनके पास बल्कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास इसका सीधे सिग्नल जाएगा, क्योंकि ये सीधे सैटलाइट की ओर सिग्नल ट्रांसमिट करेगा ताकि पैसे को ढूढ़ सकें। मिट्टी के 120 मीटर नीचे दबा होगा तब भी पता चल जाएगा कि यहां पर दो हज़ार का नोट पड़ा हुआ है।” 2,000 के नए नोट पर ये आजतक की स्टार एंकर श्वेता सिंह के द्वारा कहे गए अनमोल शब्द हैं। साथ ही श्वेता सिंह ने 2,000 के नोट में चिप ढूंढने वाली देश की पहली पत्रकार बनीं।
नोटबंदी की आज तीसरी वर्षगांठ है। तीन साल बीत जाने के बाद भी आजतक देश को दो हज़ार के नोट में वो चिप नहीं मिला जिसको श्वेता सिंह ने ढूढ़ लिया था। श्वेता सिंह ने दो हज़ार के नोट में चिप ढूढ़कर खुद के लिए वैज्ञानिक खोज की थी। अब श्वेता सिंह का यही नोट में चिप में ढूढ़ने वाला वीडियो वायरल हो रहा है। लोग पूछ रहे हैं कि, कब मिलेगी 2000 के नोट में चिप?
मोदी जी बताएं ‘नोटबंदी’ से देश को क्या-क्या फायदा हुआ? या ये पूछना भी ‘एंटी नेशनल’ है? : अजीत अंजुम
जाहिर है कि श्वेता सिंह जैसे पत्रकारों ने प्रधनामंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ में इतने कसीदे पढ़े कि वो आज खुद अपने जाल में फंस गए हैं। लोग उनके द्वारा की गई मोदी भक्ति को लेकर पूछ रहे हैं कि कहां है नोट में चिप और कहां है काला धन?
आज (शुक्रवार) 8 नवंबर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज ही के दिन 8 नवंबर 2016 को देश में नोटबंदी का ऐलान कर दिया था। पीएम के ऐलान के बाद देश में हाहाकार मचा। दावा किया गया कि नोटबंदी से देश में काले धन, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, नक्सलवाद पर लगाम लग जाएगी। लेकिन क्या नोटबंदी के तीन साल बीत जाने के बाद देश में सब कुछ ठीक है?
आज के दिन धरती की एक मात्र जीवित नैनो वैज्ञानिक श्वेता सिंह ने पता लगाया था कि
2000 रू के नये नोट में नैनोचिप, रडार और मिसाइल लगे हुए
मुझे दुःख है कि मोदीजी ने अभी तक इस नैनो वैज्ञानिक को विज्ञान का नोबल पुरस्कार नही दिलवाया pic.twitter.com/u6cQZN2cUE#DeMonetisationDisaster
— Lalu Prasad Yadav (Parody) (@ModiLeDubega) November 8, 2019
वैसे देश नोटबंदी से न तो आतंकवादी घटनाओं में कमी आई है और न ही कश्मीर में पत्थरबाजी में कमी आई। देश में नकली नोटों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है, सबसे बड़े 2,000 के नोट को जमा करने में बढ़ोतरी हुई है।
जबकि नोटबंदी के समय पीएम मोदी ने कहा था कि, इससे आतंकी घटनाओं और जमाखोरी में कमी आएगी। जबकि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। एसएटीपी के मुताबिक 2016, 2017 और 2018 में 2015 के मुकाबले आतंकी घटनाओं में इजाफा हुआ है। 2015 में 728 लोग आतंकी हमले का शिकार हुए। वहीं 2016 में 905, 2017 में 812 और 2018 में इसकी संख्या 940 पहुंच गई।