प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में कई घटनाएं आज़ादी के बाद इतिहास में पहली बार हो रही हैं। पहली बार एक साथ 90 लाख नौकरियां खत्म हो गईं, बेरोजगारी 45 साल में सबसे ज्यादा है, सुप्रीम कोर्ट के जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके लोकतंत्र को खतरा बताया, सीबीआई के दो सबसे बड़े अफसर अलोक वर्मा और राकेश अस्थाना आपस में लड़ गए और अब दिल्ली पुलिस और वकील आमने-सामने हैं।
ये सच है कि ये सब मोदी सरकार में पहली बार हो रहा है। साल 2018 अक्टूबर महीने में सीबीआई चीफ आलोक वर्मा और सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच आपसी तकरार का मामला सामने आया था। दोनों ने एक दूसरे पर कई तरह के गंभीर आरोप लगाए थे।
आलोक वर्मा ने हैदराबाद के व्यापारी सतीश सना से तीन करोड़ रुपये की कथित घूस लेने के आरोप में सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ केस दर्ज करवाया था। जिसके बाद राकेश अस्थाना ने ख़ुद को बचाने के लिए आलोक वर्मा पर ही इस मामले में दो करोड़ रुपये घूस लेने का आरोप मढ़ दिया था। ये सब देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी में पहली बार हुआ।
इसके बाद मोदी सरकार ने आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को एक दूसरे पर लगाए जा रहे आरोप प्रत्यारोप से ख़ुद ही छुट्टी पर भेज दिया था। जिसके बाद आलोक वर्मा कोर्ट पहुंचे थे जहां उन्हें राहत तो मिली और उन्हें दूबारा सीबीआई चीफ बनाया गया। मगर, उनके पास नीतिगत फैसले लेने का अधिकार नहीं था।
इस मामले ने जब तूल पकड़ा और अस्थाना को बीजेपी का करीबी बताकर निशाना साधा जाने लगा तो मोदी सरकार ने मामले में दखल देते हुए दोनों को छुट्टी पर भेज दिया और आलोक वर्मा की जगह नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बना दिया। इसके बाद सीवीसी दोनों अफसरों के खिलाफ जांच कर रही है।
वहीं अबतक जनता को ज़मीन पर रहकर न्याय दिलाने वाली पुलिस अब खुद न्याय मांग रही है! दिल्ली पुलिस के इतिहास में पहली बार हुआ है कि पुलिस के जवान दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन करके खुद के लिए न्याय मांगते-मांगते रो दे रहे हैं रहे हैं।
आईटीओ स्थित मुख्यालय के बाहर पुलिसकर्मी कह रहे हैं कि, “हमें न्याय चाहिए, हमें असुरक्षा का एहसास हो रहा है।” ये भी मोदी सरकार में पहली बार हो रहा है।
प्रदर्शन करने आए एक दूसरे पुलिसकर्मी ने कहा, “जब खाकी सुरक्षित नहीं है तो फिर क्या सुरक्षित है? हम जनता की सेवा कर रहे हैं, देश की सेवा करने के लिए भर्ती हुए हैं। हमारे भी बच्चे हैं, हम भी इंसान हैं। हमारे ऊपर हो रहे अत्याचार पर कोई नहीं बोलता। हमें बस न्याय चाहिए।”
बता दें कि, तीस हज़ारी कोर्ट में शनिवार को वकीलों और पुलिस की झड़प हो गई। कोर्ट परिसर में वकीलों ने पुलिस को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा, साकेत कोर्ट परिसर में भी वकीलों ने पुलिस को कोहनी, घूंसों से पीटा, इस पिटाई की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। देशभर की पुलिस दिल्ली के पुलिसवालों के समर्थन में खड़ी हो गई है।
गौरतलब है कि, तीस हज़ारी कोर्ट परिसर में पार्किंग को लेकर वकील और पुलिस में विवाद हुआ था। इस पूरे प्रकरण की शुरुआत यही से हुई है। दोनों के बीच बहस होती है और फिर मामला हिंसक रूप में बदल गया। इसके बाद वकीलों ने जमकर उत्पात मचाया।