नरेंद्र मोदी जब प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने महिला सशक्तिकरण के मुद्दे को ज़ोर-शोर से उठाया। उन्होंने प्रताड़ना का शिकार हो रही महिलाओं का दिल जीतने के लिए बड़े-बड़े नारे दिए। जिसमें एक नारा ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का भी है।
लेकिन उनके शासनकाल में बेटियां बचती कम बचाओ-बचाओ चिल्लाती ज़्यादा नज़र आईं। यानी उनके शासनकाल में बेटियों के साथ रेप की कई दिल को दहला देने वाली वारदातें सिलसिलेवार होती रहीं।
कभी कठुआ में मासूम आसिफा के साथ हैवानियत की सारी हदें पार की गईं तो कभी उन्नाव में रेप पीड़िता इंसाफ की गुहार लगाते-लगाते अस्पताल पहुंच गई और उसने अपने परिजनों तक को खो दिया। सिलसिला यहीं नहीं रुका। बेटियों के साथ यौन हिंसा की वारदातें लगातार होती रहीं और फिर ख़बर हैदराबाद से आई। यहां एक महिला डॉक्टर को रेप के बाद बदमाशों ने ज़िंदा जला दिया। इस खब़र ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। महिला सुरक्षा को लेकर बहस छिड़ गई। सवाल पूछे जाने लगे। लेकिन इन सवालों के जवाब मिल पाते उससे पहले ही हैदराबाद की ही तर्ज़ पर उत्तर प्रदेश के उन्नाव में वारदात को अंजाम दे दिया गया।
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यहां गैंगरेप पीड़िता को ज़मानत पर रिहा हुए आरोपियों ने पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया। बेटी अस्पताल में ज़िंदगी मौत के बीच जंग लड़ रही है। बेटी को इसलिए जलाया गया क्योंकि वह पीएम मोदी के वादे पर भरोसा करके सशक्त बनना चाहती थी। उसे लगा कि अगर उसके साथ रेप हुआ है तो उसे इंसाफ भी मिलेगा और उसके साथ रेप करने वालों को सज़ा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
रेप करने वालों को अदालत से ज़मानत मिल जाती है। जिसके बाद वह पीड़िता को केस वापस लेने की धमकी देते हैं। पीड़िता को लगता है कि उसके साथ देश का प्रधानमंत्री है, जिसने उसे बचाने का वादा किया है। वह धमकी से नहीं डरती। अदालत में इंसाफ की लड़ाई के लिए निकल पड़ती है। लेकिन वह अदालत पहुंच पाती उससे पहले ही ज़मानत पर रिहा आरोपी अपने तीन साथियों के साथ मिलकर उसे ज़िंदा जला देते हैं।
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जब इस घटना के बारे में ज़िम्मेदार लोगों से पूछा जाता है तो वह ये कहते हुए बचते हैं कि ऐसी घटनाओं को तो भगवान राम भी नहीं रोक सकते। अब सवाल ये ही कि जिस अपराध को भगवान राम नहीं रोक सकते उसे रोकने का वादा प्रधानमंत्री ने कैसे कर लिया। जब उन्हें पता था कि वह बेटियों को नहीं बचा सकते तो उन्होंने बेटियों से उन्हें बचाने का वादा क्यों किया। क्यों बेटियों में ये विश्वास जगा दिया कि उन्हें किसी से डरने की ज़रूरत नहीं है, उनके साथ इंसाफ़ होगा। क्या यही इंसाफ़ है कि रेप पीड़िता न्याय की गुहार लगाए और उसे ज़िंदा जला दिया जाए?
By: Asif Raza