सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की सरकार अपने देश के मजदूरों से किस बात की दुश्मनी निकाल रही है, उसे इसकी घोषणा करनी चाहिए. उसे स्पष्ट नीति बना लेनी चाहिए कि जो भूख और बेकारी से भाग रहे हैं, उनसे कितने करोड़ वसूलकर खजाना भरना है और उन्हें किस तरह की यातनाएं देनी हैं.

कल 12 मई से 15 ट्रेनेंं चलाने की घोषणा हुई है. ये ट्रेनें नई दिल्ली से चलेंगी और इसके लिए आज शाम 4 बजे से टिकट की बुकिंग की जा सकेगी. ट्रेन चलाने की जरूरत मजदूरों के लिए है, लेकिन किराया राजधानी का लिया जाएगा. ये किराया कितना होगा, अभी ​इसकी जानकारी नहीं दी गई है.

ये ट्रेनें कहां रुकेंगी या कहीं नहीं रुकेंगी, यह केवल ईश्वर जानता है या फिर रेलवे के महान अधिकारी जानते हैं. किराया और टाइमिंग को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है.

बस ये बताया ​गया है कि एसी ट्रेन होगी. राजधानी के रूट्स पर चलेगी और किराया सुपर फास्ट ट्रेन के बराबर होगा. ये 15 ट्रेनें 12 मई को कितने बजे कहां के लिए छूटेंगी इसकी कोई जानकारी नहीं है.

ट्रेन में यात्रा करने के लिये टिकट की बुकिंग ऑनलाइन ही करनी होगी, स्टेशन पर जाकर टिकट नहीं मिल सकेगा. भारत सरकार इस बात के लिए आश्वस्त है कि देश के करोड़ों मजदूर हाइटेक हैं. सरकार की नजर में भारत के मजदूर न हुए, स्टीव जॉब्स के चाचा हो गए हैं.

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