छह महीना पहले अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल का भाव 114 डॉलर प्रति बैरल था। आम जनता को मजबूर किया गया कि वह 100 रुपया लीटर पेट्रोल और डीज़ल के दाम दे। इसके असर में बढ़ने वाली महंगाई से जेब ख़ाली करे।

छह महीने बाद अंतराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल का भाव 74 डॉलर प्रति बैरल है। क्या इस अनुपात में आम जनता को राहत मिल रही है? चुनावों के कारण उत्पाद शुल्क में कटौती कर राहत दी गई लेकिन तब भी पेट्रोल 90-95 रुपया लीटर मिल रहा है।

जनता की जेब ख़ाली कर दी गई है, यह उसे पता नहीं चलेगा क्योंकि उसके पहले मुस्लिम विरोधी बहसों से उसका दिमाग़ ख़ाली कर दिया गया है। आपकी कमाई उड़ गई। बचत उड़ गई।

एक डॉलर 81 रुपये का हो गया है। गोदी मीडिया का एक ऐंकर अब सवाल नहीं उठाता है। ऑल्ट न्यूज़ के मोहम्मद ज़ुबैर ने अपने ट्विटर हैंडल पर कई गोदी ऐंकरों के ट्विट को खंगाला है। उन्होंने 2013 के बाद रुपये की गिरावट पर कोई ट्विट तक नहीं किया है।

लेकिन तब लिखा करते थे कि एक डॉलर 61 रुपये का हो गया है, देश की अर्थव्यवस्था गर्त में जा रही है। क्या आज नहीं जा रही है?

उत्तराखंड के बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री के बेटे का हत्या के एक मामले में नाम आया है। गिरफ्तार है। कई मीडिया ने अपनी रिपोर्टिंग में बीजेपी का नाम तक नहीं लिखा।

जबकि लड़के पर आरोप है कि वह कथित रूप से 19 साल की अंकिता को वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर कर रहा था, जब लड़की ने इंकार किया तो उसकी हत्या कर दी।

हम नहीं जानते कि यह एक मामला है या मंत्री का बेटा कई लड़कियों को इस दिशा में धकेल चुका है और बीजेपी के कितने नेता या कार्यकर्ता बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री विनोद आर्या और उसके बेटे पुलकित आर्या के संपर्क में होंगे?

क्या राष्ट्रवाद और धर्म की राजनीति छल प्रपंच, झूठ की बुनियाद पर ही टिकी होती है? बेहतर है आप इसे समझ लें।

नहीं समझ आता है तो उन शहरों का हाल जाकर देख लें जिनके बारे में पिछले छह-सात साल से कहा जा रहा है कि स्मार्ट सिटी बनेंगे। आँखें खोलिए।

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