सबसे अहम बदलाव जो इन कानूनों से होगा वह है मंडी के बाहर व्यापारी को खरीद की छूट मिलना। अभी सारा व्यापार मंडियों के जरिए होता है। वहां एक टैक्स व्यापारी को चुकाना होता है जो आखिरकार किसानों के ही काम आता है। पंजाब, हरियाणा के खेतों से गुजरने वाली बेहतरीन पक्की सड़कें जो आपको दिखती हैं वह इसी टैक्स से बन सकी हैं।
अब सरकार मंडियों से बाहर व्यापार की छूट दे रही है तो इससे किसानों को कोई फायदा नहीं होगा, बल्कि बड़े व्यापारियों को फायदा होगा, क्योंकि वे लोग बिना टैक्स चुकाए बाहर से खरीद कर सकेंगे।
इससे एक तरफ किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिलना बंद हो जाएगा, दूसरी तरफ धीरे-धीरे मंडियां ठप पड़ने लगेंगी, क्योंकि जब मंडियों से सस्ता माल व्यापारी को बाहर मिलेगा तो वह क्यों टैक्स चुकाकर मंडी में माल खरीदेगा।’
कुरुक्षेत्र-कैथल हाईवे पर ढांड नाम की एक जगह है जहां अडानी का एक वेयरहाउस है। वहां यह सुविधा है कि 10 साल तक गेहूं स्टोर किया जा सकता है।
आम किसान या छोटे व्यापारियों के पास तो ऐसे वेयर हाउस हो नहीं सकते, तो सबका राशन खरीदकर अडानी जैसे लोग अब सालों तक स्टोर कर सकेंगे और जब उनके पास असीमित स्टॉक होगा तो पूरा बाजार वे नियंत्रित करेंगे।
जैसे मोबाइल की दुनिया में आज पूरा बाजार अंबानी का है, वैसे ही आने वाले सालों में सारी खेती भी बड़े पूंजीपतियों की होगी।
यह असल में सिर्फ किसान का मुद्दा नहीं, बल्कि देश की तमाम जनता का भी मुद्दा है। यह जनता बनाम कॉरपोरेट का मामला है। चंद व्यापारी पूरे देश का माल खरीदेंगे और फिर पूरा देश उनसे लेकर खाएगा। यानी पूरा देश उनका ग्राहक होगा।
- गुरनाम सिंह चढूनी किसान नेता
(यह लेख गिरीश मालवीय की फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है)