गिरीश मालवीय

मोदी राज में देश को कमाल की उपलब्धि हासिल हुई है. 2019 की ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत इस बार 117 देशों की सूची में 102वें स्थान पर आया है. हंगर इंडेक्स के अनुसार भारत की यह स्थिति बेहद गंभीर है.

‘ग्लोबल इंडेक्स स्कोर’ ज़्यादा होने का मतलब है उस देश में भूख की समस्या अधिक है. उसी तरह किसी देश का स्कोर अगर कम होता है तो उसका मतलब है कि वहाँ स्थिति बेहतर है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स को नापने के चार मुख्य पैमाने हैं – कुपोषण, शिशुओं में भयंकर कुपोषण, बच्चों के विकास में रुकावट और बाल मृत्यु दर. ओर न्यू इंडिया इन चारों मोर्चो पर फेल साबित हुआ है

साल 2014 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रैंकिंग में भारत 55वें पायदान पर था. लेकिन 2014 में केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में सरकार बनने के बाद भारत की रैंकिंग में लगातार गिरावट दर्ज की गई………… ग्लोबल हंगर इंडेक्स के अनुसार 2015 में भारत 55वें स्थान से फिसलकर 80वें पायदान पर पहुंच गया, वहीं 2016 में 97वें और 2017 में 100वें स्थान पर पहुंच गया. 2018 में 103 वें स्थान पर था और अब इस साल 102 वे नम्बर पर है हर साल अक्टूबर में ये रिपोर्ट जारी की जाती है. 2019 में इस रिपोर्ट का 14 वां संस्करण आया है.

दिन रात हमारे न्यूज़ चैनल हिंदुस्तान पाकिस्तान करते रहते है, हर बात में पाकिस्तान से तुलना की जाती हैं इसलिए आज हमारे लिए यह राष्ट्रीय शर्म का दिन है. 2016 की 118 देशों की सूची में भारत 97वें स्थान पर था और पकिस्तान 107 वें स्थान पर था जबकि आज 2019 के इस ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 5 स्थान और लुढ़क कर 102 वे नंबर पर जा पुहंचा है जबकि पाकिस्तान गहरे आर्थिक संकट झेलने के बावजूद अपनी स्थिति सुधारते हुए 94वें स्थान पर पुहच गया है. 2019 की इस लिस्ट में भारत तो अन्य एशियाई देशो जैसे नेपाल(73), म्यांमार(69), श्रीलंका(66) और बांग्लादेश (88) से भी पीछे है. भारत में अभी भी भूख एक गंभीर समस्या है।

हम दावे करते हैं कि हम अब विकासशील से विकसित देशो की सूची में आने वाले हैं हम दावे करते हैं कि हम विश्व की पांचवीं और छठी आर्थिकी हैं लेकिन सच तो यह है कि हम भारत में सभी नागरिकों की भूख हम मिटा नहीं पाए हैं. भूखे रहने के कारण कुपोषण का शिकार हुए लोगों में से 24 प्रतिशत लोगों का घर भारत है.

एफएओ (FAO) 2019 की The Study of food Security and nutrition in the World Report, 2019 के अनुसार भारत में 19.44 करोड़ नागरिक कुपोषित हैं, जो हमारी कुल आबादी का लगभग 14.5 प्रतिशत हैं. लेकिन हम दावा 5 ट्रिलियन की इकनॉमी बनाने का करते है……… आश्चर्य की बात तो यह भी है कि इस रिपोर्ट को लेकर मुख्य मीडिया पूरी तरह से कन्नी काट गया है न्यूज़ चैनलों में भी भूख पर कोई चर्चा नही है अदम गोंडवी का शेर है कि

‘आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे
अपने शाहे-वक़्त का यूँ मर्तबा आला रहे’

पिछले दिनों फोर्ब्स की सबसे धनवान भारतीयों की लिस्ट में दिखा था कि देश के सबसे धनवानों की संपत्ति में पिछले साल के मुकाबले काफी इजाफा हो चुका है। वहीं कल ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत के और नीचे खिसकने से यही आकलन किया जा सकता है कि अमीर और अमीर हो रहे हैं और गरीब और गरीब और गरीब हो रहे हैं। यहाँ गरीबो की संख्या सिर्फ सरकारी आंकड़ों में ही कम हो रही हैं अदम गोंडवी का ही एक और शेर गौर फरमाइए……..

‘उनका दावा, मुफ़लिसी का मोर्चा सर हो गया
पर हक़ीक़त ये है कि मौसम और बदतर हो गया’

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