और वह मर गई !

उन्नाव की उस मासूम सी लड़की नेे कुछ दरिंदों के हाथों अपनी देह और आत्मा पर सामूहिक बलात्कार का दंश और अपमान झेला, लेकिन वह जिंदा रही। उसे अपने अपराधियों के खिलाफ एक लंबी कानूनी जंग जो लड़नी थी। वह लड़ी।

फिर एक दिन उसके गुनहगार जमानत पर छूटकर आए। उन्होंने उसे जिंदा जलाकर मार डालने की कोशिश की। वह फिर भी नहीं मरी। उसने चीख-चीखकर अपने तमाम अपराधियों के नाम बताए और कहा – तुम उन्हें छोड़ना मत।

मैं लडूंगी उनके खिलाफ। वेंटिलेटर पर मौत उसके सामने खड़ी थी, लेकिन उसकी लड़ाई अभी वषों लंबी और थका देने वाली थी। डाक्टरों के आगे उसने गुहार लगाई – मुझे बचा लो। मैं अभी मरना नहीं चाहती।

फिर पिछली रात जाने क्या हुआ कि इंसाफ के बेहद दुर्गम और जटिल रास्तों के आगे उस लड़की की अदम्य जिजीविषा और साहस ने हथियार डाल दिए। वह मर गई।

उन्नाव की अभागी बलात्कर पीड़िता के साथ इस देश की न्यायिक व्यवस्था को श्रद्धांजलि!

( ये लेख पूर्व IPS ध्रुव गुप्त के फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है )

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