शाहीन बाग का संदेश !
धर्म के आधार पर विभेद करने वाले नागरिकता संशोधन कानून और एन.आर.सी के देशव्यापी प्रतिरोध का अंज़ाम फिलहाल क्या होगा यह तो पता नहीं, लेकिन यह प्रतिरोध लंबे अरसे तक शाहीन बाग और जामिया नगर की महिलाओं के नेतृत्व में चल रहे शालीन आंदोलन के लिए ज़रूर याद किया जाएगा।
पिछले लगभग बीस दिनों से दिल्ली की कड़कड़ाती सर्दी और कभी-कभी बरसात में रात-रात भर हर उम्र की सैकड़ों औरतों को खुले आकाश के नीचे बैठकर शांति से अपनी आवाज़ उठाते देखना एक दुर्लभ मानवीय और संवेगात्मक अनुभव है।
इन महिलाओं ने देश को बताया है कि जीवंत लोकतंत्र में विरोध का सबसे खूबसूरत, लेकिन सबसे कारगर तरीका क्या हो सकता है।
शाहीन बाग (Shaheen Bagh) और जामिया नगर की बहनों और बेटियों को हमारा सलाम ! यह जज़्बा सलामत रहे ! देर-सबेर आप सबकी कोशिशें रंग ज़रूर लाएंगी – इस सरकार में नहीं तो अगली सरकार में। आमीन !
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ध्रुव गुप्त