harsh mander
Harsh Mander

‘दंगे कभी अपने आप नहीं होते’

पूर्व आईएएस और सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर का कहना है, “मैं पिछले कई सालों से सामाजिक हिंसा का अध्ययन कर रहा हूं और यह बात पक्के तौर से कह सकता हूं कि दंगे होते नहीं, पर करवाए जाते हैं.

मैंने बतौर आईएएस कई दंगे देखे हैं. अगर दंगा कुछ घंटों से ज़्यादा चले तो मान लें कि वह प्रशासन की सहमति से चल रहा है। दंगे करवाने के लिए तीन चीज़ें बहुत जरूरी हैं। नफ़रत पैदा करना, बिल्कुल वैसे जैसे किसी फैक्टरी में कोई वस्तु बनती हो।

दूसरा, दंगों में हथियार, जिसका भी प्रयोजन होता है। अगर बड़े दंगे करवाने हैं तो छुरी और सिलिंडर बांटे जाते हैं और सिर्फ एक तनाव का वातावरण खड़ा करना हो तो ईंट-पत्थर। तीसरा है, पुलिस और प्रशासन का सहयोग जिनके बिना कुछ भी मुमकिन नहीं।”

तीन दिन से चल रहे दंगे के बीच आज उन्होंने दिल्ली में कुछ लोगों को साथ लेकर राहत और बचाव कार्य का काम शुरू किया है।

  • कृष्णकांत

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