बीजेपी का एक गुंडा दीप सिद्धू लाल किले पर तिरंगे के बगल एक झंडा फहरा कर चला गया, पुलिस ने उसे नहीं पकड़ा। द ट्रिब्यून के मुताबिक, जो लड़का पोल पर चढ़ा था, उसे झंडा दीप सिद्धू ने पकड़ाया था। उनमें से किसी को पुलिस ने नहीं पकड़ा।

पुलिस ने पकड़ा है युवा पत्रकार मनदीप पुनिया को जो लगातार आंदोलन की रिपोर्टिंग कर रहे थे।

सिंघू बॉर्डर पर बीजेपी का एक छुटभैया नेता डेढ़ सौ गुंडे लेकर आया और पत्थरबाजी की। पुलिस ने उन गुंडों को नहीं रोका। पुलिस ने मारा एक किसान को। उसे खून-खच्चर कर दिया। अमानवीय तरीके से उसके जबड़े पर पैर रखकर दबाया गया। उसे जेल भेजा गया।

इस पत्थरबाजी के दौरान पुलिस मूकदर्शक बनकर खड़ी थी, ऐसा बड़े चैनलों ने भी रिपोर्ट किया। लेकिन पकड़े गए मनदीप पुनिया, क्योंकि वे पुलिस पर गंभीर सवाल उठा रहे थे।

जो पुलिस 26 जनवरी के पहले और बाद में भी बॉर्डर पर किसी को हिलने नहीं दे रही है, उससे कुछ गुंडे नहीं संभलते। उससे लालकिला पर झंडा फहराने वाला नहीं संभलता। हजारों की भीड़ संभल जाती है, बस गुंडे नहीं संभलते।

डेढ़ लोगों की सरकार की तरह दिल्ली पुलिस भी समझती है कि जनता कुछ नहीं समझती।

सरकार को चाहिए कि अघोषित आपातकाल हटा लें। इंदिरा गांधी की तरह हिम्मत जुटाए और आपातकाल घोषित कर दे। हालात उससे अलग नहीं हैं। फर्क बस इतना है कि तानाशाही और दमन पर चुपके-चुपके अमल हो रहा है।

तानाशाही लोकतंत्र को अपने बूटों तले कुचल रही है, धीरे-धीरे, कायरतापूर्ण ढंग से, चुपके-चुपके।

(यह लेख पत्रकार कृष्णकांत की फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here