कृष्णकांत
सूरत में कोरोना से 4 मौतें हुई हैं. चारों का अंतिम संस्कार अब्दुल मालाबरी ने किया है. अब्दुल कई परिवारों का सहारा बन गए हैं.
संक्रमण के डर से परिजन लाशों के पास तक नहीं आते. शव परिजनों को सौंपे भी नहीं जाते. ऐसे में अब्दुल भाई लोगों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं, चाहे वे जिस जाति-धर्म के हों.
बीबीसी ने लिखा है कि अब्दुल तीस सालों से लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करवाते हैं. सड़कों पर रह रहे लोग, भिखारी, या फिर आत्महत्या करने वाले लोग, जिन्हें अंतिम विदाई देने वाला कोई नहीं होता, अब्दुल उन्हें सम्मान के साथ अंतिम विदाई देते हैं. अब्दुल के साथ करीब पैंतीस स्वयंसेवक भी काम करते हैं. उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं के दौरान भी लोगों के अंतिम संस्कार किए हैं.
कोरोना वायरस के मामले बढ़ने लगे तो सूरत नगर निगम ने अब्दुल से संपर्क किया कि क्या वे कोरोना से मरने वालों का अंतिम संस्कार कर सकते हैं? अब्दुल तुरंत राजी हो गए.
अब्दुल की टीम का नंबर सभी अस्पतालों में है. अधिकारियों ने उन्हें प्रशिक्षण दिया है कि अपना बचाव कैसे करना है. अब्दुल जागरूक व्यक्ति हैं. वे बताते हैं कि हम विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों का पालन करते हैं और बॉडी सूट, मास्क और दास्ताने पहनते हैं. शव पर रसायन छिड़ककर उसे पूरी तरह ढंक दिया जाता है ताकि संक्रमण न फैले.
अब्दुल अपने परिवार से तब तक दूर रहेंगे जब तक कोरोना महामारी शांत नहीं हो जाती. अपने दफ्तर में ही रहते हैं. सरकार ने मदद की पेशकश की थी लेकिन अब्दुल ने मना कर दिया. उनका कहना है कि लोगों से मिलने वाला चंदा ही पर्याप्त होता है. हमें फंड की कोई दिक्कत नहीं है.
सूरत नगर निगम के कमिश्नर आशीष नाइक का कहना है कि “ऐसे मुश्किल वक़्त में अब्दुल भाई महान कार्य कर रहे हैं. जब हमने उनसे संपर्क किया तो वो मदद करने के लिए तुरंत तैयार हो गए. वो प्रशंसनीय काम कर रहे हैं.”
अब्दुल भाई को हमारा सलाम पहुंचे.