व्लादिमीर पुतिन 2036 तक देश पर राज करेंगे।

2 दशक पहले यह नामुमकिन लगता था, अब नहीं। रूस में बीते एक हफ़्ते से पुतिन के 20 साल से चले आ रहे शासन की अवधि बढ़ाने के लिए लोगों की राय मांगी गई थी।

78% रूसियों ने इस प्रस्ताव के समर्थन में वोट दिया है। यह जानते हुए भी कि पुतिन राज में अवाम का जीवन स्तर नीचे गिरा है।

सोचिये कि यह कैसे संभव हुआ होगा? असल में राज्य सत्ता ने लोगों को समलैंगिक विवाह पर कानूनी पाबंदी लगाने और वोटरों को “ईनाम” देने जैसे वादे किए थे।

पुतिन का कार्यकाल 2024 में खत्म हो रहा है। इसमें 12 साल और जुड़ गए हैं।

अब इसे ही मोदी राज से जोड़कर देखें तो काफी समानता है। मोदी और पुतिन दोनों ही न तो कोरोना को संभाल सके, न इकॉनमी को। फिर भी राज करेंगे।

पुतिन ने इस जनमत संग्रह में विरोधियों को ब्लॉक कर दिया था। वह हां सुनना चाहते थे। मोदी भी हां ही सुनना चाहते हैं।

लोकतंत्र उल्टी दिशा में दौड़ रहा है। भारत में ऐसे बहुत कम लोग मिलेंगे, जिन्हें 2024 में मोदी की हार पर यकीन हो। सबका मानना है कि मोदी मैनेज कर लेंगे।

ट्रम्प भी इसी कोशिश में हैं और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भी।

पुतिन पर अब मंदी में धंसते रूस को उबारने की चुनौती है। मोदी की भी और ट्रम्प, जॉनसन की भी।

पुतिन अब मनचाहे तरीके से रूस के 1993 में मंज़ूर संविधान को बदल सकते हैं। मोदी सरकार भी यही चाहती है।

इस पर सवाल उठाने वाले लोग या तो मार दिए जाएंगे या मर जायेंगे। राज चलता रहेगा।

(ये लेख पत्रकार सौमित्रा रॉय के फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है)

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