एक ऐसे वक्त में जब कोई भीड़ इकट्ठा होकर किसी भी शख्स की जान ले ले रही है। एक ऐसे वक्त में जब लोकतंत्र भीड़तंत्र बनता चला जा रहा है, इसी दौर में सोशल मीडिया पर एक तस्वीर चल रही है जो सुकून देती है, जो उम्मीद देती है।

इस तस्वीर में एक शख्स पुल पर बनी लोहे की ग्रिल के उस पार है और भीड़ ग्रिड के इस पार।

Image may contain: one or more people and outdoor

खबरों के मुताबिक, ये शख्स आत्महत्या करना चाहता है लेकिन भीड़ उसे पकड़े हुए हैं। कोई उसके पैरों को जकड़े हुए है, कोई उसके बेल्ट को तो कोई हाथ और कंधे को पकड़े हुए है। और ये भीड़ उसे रोक रही है कि आत्महत्या ना करे, उसे समझाने की कोशिश की जा रही है, उसे बचाने की कोशिश की जा रही है।

वैसे तो इसे बेहद आम तस्वीर मानी जानी चाहिए, जब आत्महत्या कर रहे किसी शख्स को लोग रोकने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन आज के दौर में आई ये तस्वीर इसलिए खास हो जाती है क्योंकि ‘भीड़’ अब एक डरावना शब्द बनता चला जा रहा है जो किसी की जान बचाने के लिए इकट्ठा नहीं होती बल्कि किसी की जान लेने के लिए इकट्ठा होती है।

मॉब लिंचिंग के इस दौर में ये तस्वीर संदेश देती है कि लोगों में इंसानियत अभी बची हुई है। उन्माद की राजनीति ने लोगों को कितना ही क्यों न भड़काया हो मगर एक जान की अहमियत अभी बची हुई है।

भले ही ये तस्वीर लंदन की बताई जा रही हो, भले ही युवक की जान सात समंदर पार कहीं बचाई जा रही हो लेकिन इस घटना से हमारे देश के लोग सीख ले सकते हैं कि भीड़ या लोगों की एकजुटता की का सही उपयोग क्या है।

इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लोग बेहद सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहे हैं।

फेसबुक पर इलियास मखदूम लिखते हैं-

इंसानों से इंसानों का तआल्लुक़ बयान करती तस्वीर
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लंदन में ये आदमी ख़ुदकुशी करने की ग़र्ज़ से छलांग लगाने जा रहा था। एक अजनबी आदमी ने उसे देखा और उसके पैर पकड़ लिए और उसे मनाता रहा के ऐसा ना करें। कुछ देर बाद कई और अजनबी लोग जमा होगये। किसी ने उसकी पतलून के बेल्ट को पकड़ा और किसी ने उसे रस्सी से बाँध दिया ताकि वो कूद ना सके।

एक तरफ ऐसे समाज की तस्वीर है जहां एक भीड़ एक अकेले इंसान को बचा रही है। दूसरी तरफ एक ऐसा समाज बन चूका है जहाँ एक भीड़ एक अकेले इंसान की जान ले लेती है। इस भीड़ केलिए मारने केलिए धर्म, ज़ात या कुछ भी कारण बनता जा रहा है।

जो समाज दुसरे इंसानों की क़द्र करता है वो फलता फूलता है और जो समाज दुसरे इंसानों की क़द्र नहीं करता वो तबाह ओ बर्बाद होता है

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