कोरोना से लड़ने के लिए–

पीपीई चीन से मंगाई,
वेंटिलेटर चीन से मंगवाए,
मास्क चीन से मंगवाए,
जो मेडिसिन विदेश सहायता के लिए भेजी उसका रॉ मेटीरियल भी चीन से मंगवाया,
उधार पैसे भी वर्ल्ड बैंक और एशिया D बैंक से लिए।

जो चश्मा मोदी जी खुद पहनते हैं
वो मायबाख कंपनी का है, जो जर्मनी की कंपनी है.
जिस बोइंग 747-400 विमान से मोदी जी उड़ते हैं

वो विमान भी अमेरिकी कम्पनी का है।
जिस फोन से मैं टाइप कर रहा हूँ
वो भी चीन की कम्पनी का है।

पर हर बार लोकल-वोकल करके जबर्दस्ती भावुक क्यों करते हैं? ठीक है न! कुछ हम दुनिया से लेंगे, कुछ दुनिया हमसे लेगी। इसमें दिक्कत क्या है। ये लोकल, स्वदेशी, देशी के नाम पर कब तक देशवासियों में हवा भरते रहेंगे।

या तो प्रधानमंत्री स्वयं ही व्हाट्सएप फॉरवर्ड पढ़ना बन्द कर दें, या अपना स्पीच लिखने वाले का व्हाट्सएप बन्द करवा दें। इतने दोयम दर्जे के शोध उधर ही मिलते हैं।जब पता ही है दुनिया लोकल नहीं ग्लोबल है, फिर काहे इतना धुंआ धुंआ उठा देते हैं हर भाषण में।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here