प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को विश्वगुरु बनाने का सपना दिखाया, लेकिन विकास के मामले में पड़ोसी बांग्लादेश से भी पीछे रह गए। कोरोना महामारी के लिए मोदी सरकार द्वारा घोषित राशि और ‘पीएम केयर्स’ फण्ड भी उनके काम नहीं आया।

दरअसल, बांग्लादेश ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए अपनी प्रति व्यक्ति आय को 2227 डॉलर घोषित किया है। ये भारत की प्रति व्यक्ति आय से भी ज़्यादा है।

कोरोना महामारी के बावजूद बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय वित्तीय वर्ष 2019-20 के मुकाबले वित्तीय वर्ष 2020-21 में 9 प्रतिशत से बढ़ी है। ये आंकड़ा वित्तीय वर्ष 2019-20 में 2,064 डॉलर था।

पड़ोसी देश के योजना मंत्रालय ने ये सारी जानकारी एक वर्चुअल कैबिनेट मीटिंग के दौरान प्रधानमंत्री शेख हसीना को दी।

भारत की सत्तारूढ़ पार्टी ने भले ही अधिकतर सरकारी कंपनियों को बेच डाला हो, महामारी से निपटने और विकास करने के बड़े-बड़े वादे किए हों, लेकिन आम जनता को इसका फायदा नहीं पहुंचा।

तभी पिछले दशक में बेहतरीन अर्थव्यवस्था के लिए जाने जाने वाला देश देश होने के बावजूद, ताज़ा आंकड़ों के अनुसार भारत की प्रति व्यक्ति आय 1947.41 डॉलर ही है।

इस ख़बर पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ब्लॉगर गिरीश मालवीय लिखते हैं, “अन्धभक्तों को शर्म तो आने से रही, लेकिन फिर भी बता देना उचित है कि प्रति व्यक्ति आय में हम बांग्लादेश से भी पीछे रह गए हैं,

कहा हमें 2014 में विश्व गुरु बनाने का सपना दिखाया गया था और आज हकीकत यह है कि भारत बांग्लादेश से भी पीछे रह गया है, तब भी यहाँ बकवास की जाती है कि 2 करोड़ बांग्लादेशी भारत में घुस आए हैं. जब तक ऐसी मूर्खताएं चलती रहेगी तब तक हम गड्डे में ही जाते रहेंगे।

अंधभक्तो और कब तक जलील करवाओगे? साफ दिख रहा है कि तुम्हारा देवता हर क्षेत्र में बिलकुल फेल साबित हुआ है”

प्रति व्यक्ति आय का आंकड़ा इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि ये किसी देश के असल हालत बयां करता है।

केवल चंद पूंजीपतियों की संपति से विकास का अनुमान नहीं लगाया जाता, बल्कि सभी लोगों की आय का एवरेज लेकर आम जनता की वित्तीय शक्ति का आंकलन होता है।

इन आंकड़ों से पता चलता है कि पीएम मोदी के कथित विकास मॉडल में भारत की आम जनता की भागीदारी और फायदा, दोनों कम है। तभी तो बांग्लादेश की भी प्रति व्यक्ति आय हमसे ज़्यादा है।

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