Tarun Sisodia
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दिल्ली के पत्रकार तरुण सिसौदिया की मौत के मामले में यह शक करने की पर्याप्त गुंजाइश है कि यह आत्महत्या नही हत्या है। तरुण दैनिक भास्कर अखबार में हेल्थ रिपोर्टर थे. वह एम्स में दो हफ्ते से अधिक से इलाज करवा रहे थे। बताया जा रहा है कि उनके इलाज में लापरवाही बरती जा रही थी. लापरवाही बरतने का मामला स्वास्थ्य मंत्रालय तक भी पहुंचा था और ट्रामा सेंटर से रिपोर्ट मांगी गई थी. सम्भव है इस बात से एम्स प्रशासन के कतिपय तत्व चिढ़े हुए हो।

कूदने की घटना दोपहर लगभग दो बजे हुई है आप ही बताइये कि एक मरीज, जो पिछले कई दिनों से कोविड संक्रमण की वजह से आईसीयू में एडमिट है, जिसे सांस लेने में दिक्कत है, वह पहली मंजिल से चौथी मंजिल तक शिफ्टिंग के दौरान भाग कर कैसे पहुंच जाता है जबकि हॉस्पिटल अटेंडेंट उस तक भी पहुंच नहीं पाये, एक बीमार मरीज ने विंडो तोड़ दिया, ओर हॉस्पिटल अटेंडेंट को पता भी नही चला, यह कैसे संभव है।

कोविड के चलते तरुण को ऐसे वार्ड में शिफ्ट किया गया जहां उनके पास मोबाइल फोन नहीं था और वे कट गए. तरुण अपने परिवार से बात करवाने का भी लगातार आग्रह कर रहे थे, जो करवाई नही जा रही थी उनके कुछ मित्रों ने उनको आॅक्सीजन नहीं उपलब्ध होने का मामल भी उठाया है.

लेकिन एम्स की चुप्पी गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है। एक पत्रकार होने के कारण वे पत्रकारों के वाट्सएप ग्रुप में शामिल थे और अस्पताल के अंदर की अव्यवस्था व दिक्कतों को शेयर कर देते थे या अपने मित्रों को बता देते थे. इससे अस्पताल प्रशासन पर सवाल उठ जाता था।

पुलिस कह रही है कि पत्रकार सोमवार दोपहर को चौथी मंजिल पर टीसी-1 वार्ड से भागने लगा। नर्सिंग अर्दली पकड़ने के लिए उसके पीछे भागे। वह पकड़ पाते, उससे पहले ही उसने शीशा तोड़ा और चौथी मंजिल से कूद गया।

एक 37 वर्षीय पत्रकार जो दो महीने पहले ही बेटी का पिता बना हो आत्महत्या के खिलाफ खुद अखबार में लेख लिखता हो सिर्फ कोविड संक्रमण या नोकरी जाने की अपुष्ट सूचना के आधार पर हॉस्पिटल की चौथी मंजिल से कूद कर आत्महत्या कर ले यह हजम होने वाली बात नही है।

तरुण सिसोदिया का एक वाट्सअप चैट भी वायरल है तरुण के साथी पत्रकारों के मुताबिक, इस चैट में तरुण ने अपनी हत्या की आशंका जताई थी। कहा जा रहा है कि उन्होंने एम्स में इलाज को लेकर कुछ शिकायतें भी की थीं।

स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने इस मामले की जाँच के आदेश जरूर दिए हैं लेकिन सारे जाँच करने वाले एम्स प्रशासन से ही है इसलिए मुश्किल है कि वे सही रिपोर्ट देंगे सरकार इस मामले में स्वतंत्र रूप से न्यायिक जाँच का आदेश देना चाहिए।

(ये लेख पत्रकार गिरीश मालवीय के फेसबुक वॉल से लिया गया है।)

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