Rajiv Bajaj
Rajiv Bajaj
गिरीश मालवीय 

‘लॉकडाउन ‘कठोर’ था जिसने अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया। लॉकडाउन वायरस के संक्रमण के प्रसार को सपाट करने की दृष्टि से किया गया था लेकिन इसने जीडीपी की वृद्घि को ही सपाट कर दिया।’

‘हमें मांग को बढ़ाना होगा और कुछ ऐसा करना होगा जिससे लोगों का मनोबल बढ़ सके। ‘मैं यह समझ नहीं पा रहा कि सरकार ने इस दिशा में ठोस पहल क्यों नहीं की। पिछले करीब छह माह से मांग में नरमी है। ऐसे में मांग को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन देने और लोगों के मनोबल को बढ़ाने के उपाय करने चाहिए।’

‘मेरे दोस्त की अमेरिका के डेट्रायट में छोटी सी कंपनी है जिसमें आठ लोग काम करते हैं। संकट की इस घड़ी में उसे पूरा मुआवजा और कई अन्य मदद भी दी गई जिससे उन्हें कंपनी को चलाने में मदद मिली।

अमेरिका में प्रभावित प्रति व्यक्ति को 1000 डॉलर की मदद दी गई। जापान में भी ऐसा किया गया। ‘हम यहां प्रोत्साहन की बात नहीं कर रहेे हैं। हम मदद की बात कर रहे हैं चाहे वह बड़े कारोबार हों, छोटे कारोबार हों या आम व्यक्ति।’

‘सरकार ने तथ्यों, तर्कों और सच को सही तरीके से पेश नहीं किया। इससे लोगों के मन में और डर समा गया है’

‘भारत ने पश्चिमी देशों के अनुभव की देखादेखी कर गलती की। भारत को यह देखना चाहिए कि कैसे कुछ एशियाई देश इस संकट से निपट रहे हैं। ‘मेरा मानना है कि बदकिस्मती से भारत ने न केवल पश्चिम की तरफ देखा बल्कि अंधानुकरण किया। हमने सख्त लॉकडाउन को लागू करने की कोशिश की मगर फिर भी उसमें कमियां रह गईं। इसलिए मेरा मानना है कि हमें दुनिया में सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है।’

‘प्रधानमंत्री जब कुछ कहते हैं, भले ही यह सही हो या गलत, मगर लगता है कि लोग उनका अनुसरण करते हैं। इसलिए उन्हें आगे आकर सभी से यह कहना चाहिए कि हम इस तरह आगे बढऩे जा रहे हैं, सभी स्थितियां नियंत्रण में हैं, संक्रमण से डरें नहीं, आप जानते हैं कि लगभग कोई नहीं मर रहा है और अब हमें आगे कदम बढ़ाना चाहिए।’

– राजीव बजाज ( बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक )

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