आज सरदार पटेल की जयंती है। पूरा RSS और पूरी BJP आज पटेल को अपना बनाने में लगी है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसी RSS और तमाम हिंदुत्ववादियों को लौहपुरुष ने एक वक्त में लोहे के चने चबवाए थे? यहाँ तक कि पूरी RSS सरदार की दुश्मन हो गई पर सरदार टस से मस नहीं हुए।

इस thread में आगे पढ़िए कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने किस बड़े नेता को लिखा था कि इससे शर्मनाक क्या हो सकता है कि गांधी की हत्या के बाद आपके लोग ख़ुशियाँ ज़ाहिर कर रहे थे और मिठाइयाँ बाँट रहे थे ? वैसे सच ये है कि गांधी के हत्यारे आज भी मिठाइयाँ बाँट रहे हैं।

इतिहास के पन्नों से कुछ तथ्य : बापू की हत्या के बाद पटेल ने हिंदू महासभा के नेता (और आज की बीजेपी के पूर्वज ) श्यामाप्रसाद को ख़त लिखा: मुझे ज़रा भी संदेह नहीं है कि गांधी की हत्या में हिंदू महासभा का हाथ नहीं है। RSS की गतिविधियाँ सरकार-देश के लिए ख़तरा हैं।

सरदार पटेल कांग्रेस के ऐसे महापुरुष थे, जिन्हें उनके दुश्मन भी नमन कर रहे हैंः प्रियंका गांधी

पटेल ने मुखर्जी को आगे लिखा कि गृहमंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि “बैन के बावजूद RSS की देश विरोधी गतिविधियों में कमी नहीं आई है, बल्कि वो बढ़ी हैं। RSS के लोग और ज़्यादा आक्रामक हो गए हैं। ये बिलकुल ठीक नहीं है। “ये ख़त 18 जुलाई 1948 को लिखा गया था।

इसके बाद पटेल ने सितंबर 1948 को एम एस गोल्वलकर को ख़त में लिखा कि “हिंदुओं को एक करना और उनकी मदद करना एक बात है पर बेक़सूर और असहाय लोगों ख़ासतौर पर महिलाओं और बच्चों से बदला लेकर उन्हें प्रताड़ित करना दूसरी बात है। ये बेहद चिंताजनक स्थिति है।

पटेल ने आगे लिखा “इतना ही नहीं RSS का कांग्रेस को लेकर विरोध सारी मर्यादाएँ लांघ चुका है,व्यक्तित्वों का असम्मान,असभ्य व्यवहार की वजह से समाज में तनाव हैं। आपके नेताओं के सारे भाषण “सांप्रदायिक ज़हर” से भरे हुए हैं।“ पटेल ने जो आगे लिखा,वो आज भी प्रासंगिक है।

पटेल ने गोलवलकर को लिखा कि “ये ज़रूरी नहीं है कि हिंदुओं को जगाने, उनमें सुरक्षा का भाव लाने के लिए उनके अंदर सांप्रदायिक ज़हर भरा जाए। ये इसी ज़हर का असर है कि देश को बापू जैसी अनमोल ज़िंदगी खोनी पड़ी। लोगों के दिलों में RSS के लिए रत्ती भर भी सहानुभूति नहीं है।

पटेल आगे लिखते हैं कि ये और पीड़ादायक है कि बापू की हत्या के बाद RSS ने ख़ुशियाँ ज़ाहिर की, मिठाइयाँ बाँटी। इन हालात के मद्देनज़र मेरे पास RSS के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रहा। मुझे लगा था कि RSS सही रास्ते पर आ जाएगी पर ये हमारी ग़लती थी।

RSS पर बैन रहा। गोलवलकर की कोशिश थी कि बैन हटे। पर पटेल नहीं माने। उनकी 2शर्त थीं- पहली कि RSS देशविरोधी गतिविधि बंद करे। दूसरी कि RSS भारत के संविधान और तिरंगे पर आस्था जताए। भारी मन से बैन हटाने की गरज से तब RSS ने देश के संविधान और तिरंगे में आस्था जताई थी।

( ये लेख विनोद कापड़ी के ट्विटर अकाउंट से साभार लिया गया है )

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