safoora zargar
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रितिका

एक एक कर सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट के एक्टिविस्टों को टारगेट किया जा रहा है जिसमें ज्यादातर मुसलमान एक्टिविस्ट शामिल हैं. अब दिल्ली माइनॉरिटी कमीशन के चेयरमैन पर भी राजद्रोह का केस लगा दिया गया. किसी ने वसंत कुंज थाने में जाकर एफआईआर करवाई और पुलिस ने तुरंत राजद्रोह लगा दिया.

दिल्ली दंगे, जामिया और जेएनयू में छात्रों पर हुए हमलों के सबूत, उनके हमलावर हमारे आंखों के सामने रहे कोई कार्रवाई नहीं की गई. इनके खिलाफ राजद्रोह तो दूर मार-पीट का मुकदमा तक नहीं हुआ. उलटा एक-एक करके एक्टिविस्टों को दंगे के आरोप में जेल में डाला जा रहा है.

पता नहीं आपके लिए ये न्यू नॉर्मल होगा. मुझे ये खबरें बहुत ज्यादा डराती हैं. सफूरा मां बनने वाली हैं और जेल में हैं. उनका जुर्म क्या है जो इस महामारी के वक्त उन्हें ऐसी सजा दी गई. आपको घिन नहीं आती इस सरकार से. इस पुलिसिया तंत्र से.

हम ये सोचकर बैठे हैं कि ये सरकार तो ऐसी ही. अब क्या कर सकते हैं. एमनेस्टी के पोस्टर पर लगा सफूरा का मुस्कुराता चेहरा लानतें भेजता मालूम होता है. लगता है आज ये है कल हम में से कोई भी होगा.

सफूरा के आने वाले बच्चे को हम कैसे यकीन दिलाएंगे कि उसका जन्म एक लोकतंत्र में हुआ है. सोचिएगा

(ये लेख पत्रकार रितिका के फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है)

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