कोरोना महामारी ने देश में संवेदनशील और स्वार्थी लोगों की पहचान करवा दिया. कोई डायनासोर बन रहा है तो कोई 18 घंटे प्रवासी मजदूरों को छोड़ने बसों का जुगाड़ कर रहा है.
सोनू सूद के बारे में जितना लिखा जाए कम हैं. सोनू सूद हर उस व्यक्ति की मदद कर कर रहे हैं जो वापस अपने घर देश के किसी भी हिस्से में जाना चाहता है. लोग ट्वीटर पर मदद मांग रहे हैं, सर हमें बस अपने स्टेट पहुंचा दीजिये. सोनू सूद उन्हें घर तक पहुंचा रहे हैं.
हर ट्वीट का जवाब सोनू सूद दे रहे हैं. कई लोगों को नहीं पता कि ये सब वह कितनी मेहनत और कठिनाइयों का सामना करके कर रहे हैं. काम ठीक से हो, इसके लिए वह 18 घंटे अपने फोन से चिपके रहकर एक-एक चीज मॉनिटर करते हैं.
इस काम में उनको सरकार से परमिशन लेने में भी दिक्कतें आ रही हैं. उनको यह भी सुनिश्चित करना पड़ रहा है कि इन वर्कर्स के पास कागज पूरे हों ताकि वे किसी राज्य के बॉर्डर पर फंस न जाएं.
जानकारी के मुताबिक वे 1600 लोगों को उनके घर भेज चुके हैं. अगले दस दिन में वे फिर से 100 बसें मुम्बई से देश के दूसरे राज्यों के लिए रवाना करेंगे. 60 सीटर बस में 35 पैसेंजर्स को सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए भेजा जा रहा है. इससे पहले जो व्यक्ति जिस जिले में जायेगा उस जिले के डीएम से परमिशन लेना होता है.
लोकल पुलिस स्टेशन से अनुमति के साथ सभी जाने वालों का मेडिकल टेस्ट भी अनिवार्य है. सोनू सूद यह सब खुद ही अपने खर्चे पर कर रहे हैं. कोई छोटे दिल का आदमी यह सब नहीं कर सकता. जिसके दिल में देश के मजदूर ,गरीबों के लिए सच्चा प्रेम है वही कर सकता है.
(ये लेख विक्रम सिंह चौहान के फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है)