कृष्णकांत

ये उसी धरती पर हो रहा है जहां “देवता जन्म लेने को तरसते हैं और स्त्रियां देवी होती हैं”.

लखनऊ में पूजा शुक्ला, हाथरस में तृणमूल सांसद प्रतिमा मंडल, नोएडा में कांग्रेस नेता अमृता धवन- सभी ने पुलिस पर धक्कामुक्की करने या कपड़े खींचने का आरोप लगाया.

आज प्रियंका गांधी की ये तस्वीर सामने आई है. इन महिलाओं के सामने महिला पुलिस भी लगाई जा सकती थी.

क्या यूपी सरकार इन सब चीजों की फिक्र नहीं करती? क्या उसका ठोंक देने का अहंकार सातवें आसमान पर है?

सरकार चाहे जिसकी हो, क्या पुलिस और सरकार का ये व्यवहार स्वीकार्य है? ये कैसी बदहवासी है कि विपक्ष की महिलाएं एक महिला के लिए न्याय मांगें और उन्हीं के सम्मान को ठेस पहुंचाई जाए?

आज प्रियंका गांधी और पूजा शुक्ला हैं, कल को किसी और पार्टी की कोई और नेता होगी. ये बहुत शर्मनाक है.

क्या यूपी सरकार और पुलिस ये भी नहीं जानती कि विपक्षी नेताओं और महिला नेताओं से कैसे पेश आना है? क्या किसी महिला सांसद के साथ ऐसा ही व्यवहार होना चाहिए जैसा हाथरस में हुआ? क्या योगी सरकार राजनीति में यही शर्मनाक परंपरा चाहती है?

एक ही प्रकरण में इस सरकार ने देश, धर्म, संस्कृति, समाज और मर्यादा- सबको कलंकित कर दिया है.

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