क्या राफेल डील अंबानी के लिए कुबेर का खज़ाना बनती जा रही है। अनिल अंबानी को 60 हज़ार करोड़ की राफेल डील का हिस्सा बनाने के बाद अब इस समझौते से जो कुछ फायदा छोटे उद्योगों को मिलने वाला था वो भी अनिल अंबानी के खाते में चला गया है।

दरअसल, राफेल डील और रिलायंस से जुड़ा एक बहुत बड़ा खुलासा हुआ है। रिलायंस की डिफेंस कंपनी जो लगातार तीन साल घाटे में थी, वो अचानक मालामाल हो गई। राफेल डील के बाद उसे 284 करोड़ का बड़ा फायदा हुआ है।

दरअसल रिलायंस एयरपोर्ट डेवलपर्स लिमिटेड (RADL) ने वित्तीय वर्ष 2017-18 में 284 करोड़ रुपए की कमाई की है। ये कमाई उसे फ़्रांस की राफेल विमान बनाने वाली कंपनी डसॉल्ट के निवेश से हुई है। डसॉल्ट ने RADL में ये निवेश किया है।

ये निवेश तब किया गया जब RADL की वित्तीय स्तिथि ये थी कि 2016 में उसकी कमाई बिल्कुल नहीं हुई थी और 9 लाख का घाटा हुआ था जबकि 2017 में 6 लाख की कमाई हुई थी लेकिन 10.35 लाख का घाटा हुआ था। ठीक वही कंपनी 2017-18 में 284.19 करोड़ कमा लेती है, जिसकी बड़ी वजह रही डसॉल्ट कंपनी के साथ सहयोगी बन जाना।

इस खुलासे के बाद अब सवाल उठ रहा है कि डसॉल्ट ने एक ऐसी कंपनी में निवेश क्यों किया जिसकी हालत इतनी ख़राब चल रही थी। इसका जवाब ना ही रिलायंस और ना ही डसॉल्ट देने को तैयार है। अपनी सलाना बैलेंस शीट में डसॉल्ट ने इस निवेश का कारण भी नहीं बताया है।

लेकिन विशेषज्ञों का कहना है की ये वो निवेश है जिसे डसॉल्ट को भारत से समझौते के तहत यहाँ की छोटी कंपनियों में करना था। बता दें, कि राफेल विमान के समझौते में ये शर्त थी कि डसॉल्ट डील की रकम का कुछ प्रतिशत भारत में निवेश करेगा।

ये निवेश कई छोटी कंपनियों या उद्योगों में होना था। इसके लिए लगभग 100 कंपनियों को चुना भी गया था। 100 कंपनियों को चुनने की बात कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद भी दो महीने पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कह चुके हैं।

लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इस पैसे से भी अनिल अंबानी की उस कंपनी को बचा लिया गया जो पिछले दो सालों से लगातार घाटे में थी। 45000 करोड़ रुपए के कर्जदार अनिल अंबानी का राफेल डील के द्वारा एक नया वित्तीय जन्म होगा।

 

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