
अंतरिक्ष में 300 किलोमीटर दूर लो अर्थ ऑर्बिट (एलइओ) सेटलाइट को मार गिराने के बाद भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में दुनिया की चौथी महाशक्ति बन गया है। इससे पहले सिर्फ रूस, अमेरिका और चीन के पास ये ताकत थी।
भारत को इस उप्लब्धि तक पहुंचाने का कारनामा डीआरडीओ ने अंजाम दिया है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की इस कामयाबी का पूरा श्रेय ख़ुद को देते नज़र आ रहे हैं। वह सुबह से ही लगातार टीवी पर बने हुए हैं। अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की जिस उप्लब्धि का ऐलान डीआरडीओ के अधिकारियों का करना चाहिए था, वो ऐलान ख़ुद पीएम मोदी टीवी पर करते दिखाई दिए।
पीएम मोदी के इस ऐलान के साथ ही देश का मेनस्ट्रीम मीडिया भी भारत के इस कारनामे का सेहरा पीएम मोदी के सिर बांधने में जुट गया है। मीडिया इस सफलता को हासिल करने वाले DRDO के वैज्ञानिकों को बधाई देने के बजाए पीएम मोदी का गुणगान करता नज़र आया।
हालांकि विपक्ष ने इसपर कड़ा ऐतराज़ जताया। विपक्ष का कहना है कि पीएम मोदी भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता को चुनावी प्रचार के रूप में इस्तेमाल कर रह हैं। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर लिखा, “भारतीय रक्षा वैज्ञानिकों द्वारा अंतरिक्ष में सैटेलाइट मार गिराये जाने का सफल परीक्षण करके देश का सर ऊंचा करने के लिए अनेकों बधाई”।
उन्होंने आगे लिखा, “लेकिन इसकी आड़ में पीएम श्री मोदी द्वारा चुनावी लाभ के लिये राजनीति करना अति-निन्दनीय। मा. चुनाव आयोग को इसका सख्त संज्ञान अवश्य लेना चाहिए”।
इसके साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की इस सफलता के लिए DRDO की सराहना की और राष्ट्र के नाम संबोधन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि वह मोदी को ‘विश्व रंगमंच दिवस’ की बधाई देते हैं।
दरअसल, अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की जिस अप्लब्धि का ऐलान DRDO के चीफ को करना चाहिए था, वो ऐलान पीएम मोदी ने कर दिया। चूंकि पीएम मोदी द्वारा किया गया ये ऐलान लोकसभा चुनाव से ठीक पहले किया गया है तो इसपर सवाल उठना भी लाज़मी है।
लेकिन विपक्षियों द्वारा उठाए जा रहे ये सवाल सत्ता की गोद में बैठी मीडिया को नागवार गुज़रा और उसने विपक्षियों को ही घेरना शुरु कर दिया। मीडिया ने पीएम मोदी से यह सवाल नहीं किया कि क्या इससे पहले किसी प्रधानमंत्री ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले DRDO/ISRO की कामयाबी का ऐलान इस तरह राष्ट्र के नाम संबोधन में किया है?
गोदी मीडिया ने बड़ी चलाकी के साथ इस अहम सवाल को ग़ायब कर दिया और सरकार के एजेंडा वाले सवाल को पेश कर विपक्ष को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। न्यूज़18 इंडिया के कार्यक्रम ‘आरपार’ में बहस का मुद्दा था, ‘अंतरिक्ष में वार, सियासत ज़ोरदार’। यानी चैनल साफ़तौर पर विपक्ष से कह रहा है कि इसपर सवाल न उठाए जाएं।
कार्यक्रम में इस बात पर भी बहस की गई कि क्या ‘मिशन शक्ति’ से बढ़ेगी मोदी की वोट शक्ति’? अब सवाल चैनल से है कि क्या वो अपने इस सवाल से वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश नहीं रहा?
सवाल यह भी है कि अगर चैनल इस बात को मानता है कि पीएम मोदी द्वारा DRDO की सफलता का ऐलान किए जाने से उन्हें चुनाव में फायदा हो सकता है तो फिर चैनल को इस मुद्दे पर कथित तौर पर सियासत किए जाने पर क्या ऐतराज़ है।
चैनल ने अपने कार्यक्रम में तीसरा सवाल दागकर तो फैसला ही सुना दिया। चैनल ने सवाल किया, ‘भारत बने महान, विपक्ष क्यों परेशान’? चैनल ने अपने इस सवाल से सीधे तौर पर विपक्ष को अपराधी घोषित कर दिया। चैनल ने साफ तौर पर घोषित कर दिया कि विपक्ष देश को महान बनते नहीं देख सकता, जबकि प्रधानमंत्री मोदी देश को महान बनाना चाहते हैं।
#BiggestDebate Tonight #MissionShakti
अंतरिक्ष में वार, सियासत ज़ोरदार
‘मिशन शक्ति’ से बढ़ेगी मोदी की ‘वोट शक्ति’!
भारत बने महान, विपक्ष क्यों परेशान?#AarPaar शाम 6.57 बजे pic.twitter.com/8s3yGeD24q— AMISH DEVGAN (@AMISHDEVGAN) March 27, 2019
हैरानी की बात तो यह है कि गोदी चैनलों की इस बहस में विपक्षी दल के नेता भी शामिल होते हैं। कांग्रेस नेता राधिका खेड़ा न्यूज़18 इंडिया के इस प्रोग्राम में बहस के लिए पहुंची थीं, जहां उनकी पार्टी को पहले ही देश का अपराधी घोषित किया जा चुका था।
Will on News18 India at 7:00 pm today https://t.co/8Y3t5awV5m
— Radhika Khera (@Radhika_Khera) March 27, 2019
अब सवाल यह उठता है कि आख़िर ऐसे चैनलों में बहस के लिए विपक्षी दल के नेता क्या करने जाते हैं, जहां पहले ही विपक्षियों को एक विलेन की तौर पर स्थापित कर दिया जाता है। क्या विपक्षी दल के नेता सत्तापक्ष के लिए बैटिंग करने वाले ऐसे चैनलों का खुलकर बहिष्कार नहीं करना चाहिए?
By: Asif Raza