सुयश सुप्रभ

“अगर मैं मर जाऊँ, तो मुझे हीरो के तौर पर याद नहीं करना।

मैं चाहती हूँ कि मेरी मौत आपमें गुस्सा पैदा करे।

मैं चाहती हूँ कि आप मेरी मौत को राजनीति का मुद्दा बनाएँ।

मेरी मौत का इस्तेमाल दूसरों में बदलाव लाने की प्रेरणा जगाने के लिए करें।

मेरे नाम का इस्तेमाल उन्हें शर्मसार करने के लिए करें जिन्होंने मुनाफ़े को ही सब कुछ माना और समय रहते ज़रूरी क़दम नहीं उठाया।

लोगों से यह कहना कि लापरवाही और लालच ने एक ऐसे इंसान की जान ले ली जिसने करुणा और सेवा को समर्पित करियर अपनाया था।”

ये शब्द हैं एमिली पियरस्काला के जो मिनेसोटा नर्स एसोसिएशन की मेंबर हैं। अमेरिका में ढंग का मास्क नहीं मिलने के कारण कई नर्सों की मौत हुई है।

जब अमेरिका में समझदारों ने कोरोना का सामना करने की तैयारी करने की बात कही थी तब ट्रंप ने बीमारी को अफ़वाह बता दिया था। अब ट्रंप ओबामा को दोष दे रहे हैं, जैसे भारत में नेहरू को दिया जाता है।

आप किसके साथ हैं – नर्स के या ट्रंप के?

(ये लेख सुयश सुप्रभ के फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है)

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