सिर्फ एक साल में 1 लाख 48 हजार 427 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी। असली घोटाले तो ठीक हमारी नाक के नीचे हमारे खून पसीने से जमा रकम में किये जा रहे है लेकिन अब बस वो एक छोटी सी खबर बनकर रह गए हैं।

क्या आप जानते हैं कि 2019 – 20 में बैंको के साथ जो विभिन्न तरह की धोखाधड़ी होती है उसमें टोटल कितनी रकम का घोटाला हुआ है। यह रकम इस साल डेढ़ लाख करोड़ के आसपास जा पुहंची है जबकि आज से 7 साल पहले मनमोहन सिंह के काल में 2013-14 में यह रकम मात्र 10 हजार 70 करोड़ रुपए ही थी।

अब एक बार जरा मोदी राज के 6 सालो में हुए बैंकिंग फ्रॉड की रकम पर नजर डालिए, आप इनका डबलिंग रेट देख कर हैरान रह जाएंगे।

2014-15 में 19 हजार 361 करोड़
2015-16 में 18 हजार 698 करोड़ रुपये
2016-17 में 23 हजार 984 करोड़ रुपये
2017-18 में 41 हजार 167 करोड़ रुपये
2018-19 में 71 हजार 500 करोड़ रुपये
2019 -20 में 1 लाख 48 हजार 427 करोड़ रुपये

पिछले 11 वित्त वर्ष में बैंक फ्रॉड के कुल 53,334 मामले प्रकाश में आये हैं, जबकि इनके जरिये 2.05 लाख करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई थी जबकि इस 2019 -20 के साल में सिर्फ 12461 मामलों में 1 लाख 48 हजार 427 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी दर्ज की गयी है।

यह जानकारी कल नीमच निवासी मित्र चंद्रशेखर गौर जो देश के जाने माने आरटीआई कार्यकर्ता है उनकी आरबीआई में लगाई गई आरटीआई में सामने आई है।

ये उस सरकार के हाल है जो ‘न खाऊंगा न खाने दूँगा’ की बात करती है, इन घोटालो की रकम में हुई वृद्धि में बहुत बड़ा रोल अब डिजिटल इकनॉमी का है जो बिना साइबर सुरक्षा कानून के लागू की जा रही है।

नोटबन्दी के बाद देश में डिजिटल इकनॉमी का जोर बढ़ने लगा ओर बैंक फ्रॉड की रकम भी दिन दूनी रात चौगुनी की रफ्तार से बढ़ने लगी। कोरोना की वजह से साल 2021 तक देश में डिजिटल लेनदेन चार गुना तक बढ़ने की उम्मीद है, यानी इस साल यह रकम ओर भी बढ़ेगी।

(ये लेख पत्रकार गिरीश मालवीय के फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है)

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