सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जहाँ आप वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में सरकार की आलोचना कर दें। कोरोना काल में लोगो की मदद करते हुए ऑक्सीजन उपलब्ध करा दें।खड़ी एम्बुलेंस पर सवाल पूछ लें या सोशल मीडिया पर लोगो से मदद मांग ले तो आप पर ही मुकदमा दर्ज कर आपको गिरफ्तार किया जा सकता है।

कल दिल्ली के कई इलाकों में पोस्टर लगे हुए मिले, जिसमें बस इतना लिखा था कि “मोदी जी हमारे बच्चों की वैक्सीन विदेश क्यों भेज दिया।” इस संबंध में दिल्ली में 10 FIR दर्ज की हैं। 9 लोग अरेस्ट किये गए हैं।

इससे पहले दिल्ली पुलिस ने इंडियन यूथ कांग्रेस के प्रमुख BV श्रीनिवास ओर आम आदमी पार्टी के विधायक दिलीप पांडे से भी पूछताछ कर चुकी है कि आपने इस भीषण संकट मे लोगो की मदद क्यो की?

BV श्रीनिवास और दिलीप पांडे कोविड में फंसे लोगों को राहत में पहुंचाने में काफी सक्रिय हैं ये उनका गुनाह है।

पप्पू यादव का तो कुसूर बस इतना था कि उन्होंने बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी के घर के पीछे खड़ी 40 एंबुलेंस के वीडियो वायरल किए। जब रूडी ने इन एबुलेंसों के लिए ड्राईवर ना होने की बात कही. इस पर पप्पू यादव 40 ड्राइवर ले आए. बस इतने पर ही उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

पिछले महीने उत्तर प्रदेश के जौनपुर में सरकारी अस्पताल के बाहर मरीजों को अपनी प्राइवेट एंबुलेंस में ऑक्सीजन देने वाले शख्स के खिलाफ प्रशासन ने मामला दर्ज किया था जब इस शख्स ने देखा कि लोग बिना ऑक्सीजन के तड़प रहे हैं।

सांस लेने में लोगों को परेशानी हो रही है। उसने अपनी एंबुलेंस से ऑक्सीजन सिलेंडर बाहर निकाला और लोगों को ऑक्सीजन देने लगा उसने करीब 30 लोगों को ऑक्सीजन मुहैया कराई। उसका यह काम गुनाह अजीम था।

इसके पहले यूपी में ही एक शख्स पर इसलिए FIR दर्ज कर दी गई क्योंकि उसने ट्विटर पर ऑक्सीजन के लिए मदद मांगी थी।

ऐसे केसेस को देखते हुए कोर्ट को यह आदेश जारी करना पड़ा कि सोशल मीडिया पर इस संकट के समय लोगों द्वारा अपील करने पर कोई भी राज्य उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कर सकती या कोई कार्रवाई नहीं कर सकती। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि अगर ऐसा होता है तो कोर्ट उसे अवमानना मानेगा।

यानी हद ही हो गयी है। अगर कोरोना काल मे सरकार बुरी तरह से असफल हुई है मरीज बिना ऑक्सीजन प्राण गंवा रहे हैं, इंजेक्शन दवाईयों के लिये दर दर भटक रहे हैं।

तो आप उनका आलोचना करने का, एक दूसरे की मदद करने का लोकतांत्रिक अधिकार तक छीन लेना चाहते हैं?

(यह लेख गिरीश मालवीय की फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है)

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