
कल लखनऊ में बीबीसी के #beyondfakenews में कहा था कि जब भारत के प्रधानमंत्री ही झूठ बोलें तो कौन पुलिस उनके ख़िलाफ़ एफआईआर करेगी? आज अमरीका से ख़बर आई है कि सीएनएन ने राष्ट्रपति ट्रम्प और उनके सहयोगियों पर मुकदमा कर दिया है।
वाशिंगटन पोस्ट ने हाल-हाल तक गिना है कि अपने कार्यकाल में राष्ट्रपति ने 6000 से अधिक झूठ और भ्रम फैलाने वाले बयान दिए हैं। भारत में ऐसा जो करेगा उसे विज्ञापन नहीं मिलेगा। नौकरी भी जा सकती है।
एक न्यूज़ चैनल का अपने राष्ट्रपति पर मुकदमा कर देना सामान्य घटना नहीं है। जब रफाल पर सवाल होता है तो न्यूज़ चैनल चुप रहते हैं।
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जब अजय शुक्ला ने तीन किश्तों में ख़बर लिखी तो सब चुप थे। किसी ने विस्तार से नहीं छापा। अव्वल तो छापा ही नहीं। राहुल गांधी ने इन ख़बरों को भी तो ट्विट किया था। उसी से सवाल बनाकर कोई चैनल या अख़बार में छाप कर दिखाए।
जब रोहिणी सिंह ने रफाल के अनिल अंबानी की निष्क्रिय सी पड़ी कंपनी में निवेश किया तो इस स्टोरी पर सब चुप रहे। जब रफाल के सीईओ ने कुछ बोल दिया जिससे लगा कि सरकार को क्लिन चिट मिल गई है तो देखिए कैसे चैनल मचल रहे हैं।
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बुधवार का हिन्दी अख़बार देख लीजिएगा। सीईओ की हर बात विस्तार से छपेगी। डरपोक और भांड मीडिया यही कर सकता है। जो कर रहा है वही करने के लिए बना है। गोदी मीडिया।