राजस्थान बीजेपी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्विट किया है कि भाजपा ने 15 लाख नौकरियां देने का वादा किया था। 44 लाख से अधिक लोगों को नौकरियाँ दीं है। 9 नवंबर का ट्विट है।

राजस्थान बीजेपी का ट्विट है तो यह राजस्थान के बारे में ही दावा होगा। मैंने एक दिन नहीं, कई हफ़्ते प्राइम टाइम में नौकरी सीरीज़ की है। हमने देखा है और दिखाया है कि कैसे पंजाब, मध्य प्रदेश, बिहार, यूपी और राजस्थान में नौजवानों को विज्ञापन देकर उलझाया जाता है।

हमारे नौजवानों ने बहुत विरोध किया। प्रदर्शन किया। अपनी जवानियाँ बर्बाद होती देखी मगर किसी ने उनका साथ नहीं दिया। मुझे यक़ीन नहीं होता कि राजस्थान में 44 लाख नौकरियाँ दी गई है।

राज्य सरकार यही साबित कर दे कि उसके चयन आयोग ने 44 लाख नौकरियों का विज्ञापन निकाला है। राजस्थान का कोई पत्रकार ही बता दे। पत्रिका और भास्कर का संपादक बता दे। राजस्थान का ही कोई परीक्षार्थी भी बता दे कि क्या उसने इतने विज्ञापन देखे हैं।

ऐसा लगता है कि राजनीतिक दल अब झूठ पर ही निर्भर हो चुके हैं। कई तरह के झूठ बोले जाते हैं ताकि नए और अप्रभावित वर्ग को लगे कि उसे लाभ नहीं मिला तो कोई बात नहीं, दूसरे को मिला है।

नौजवानों को लगे कि मुझे नौकरी नहीं मिली तो क्या हुआ, भारत का विदेशों में नाम हुआ है। जो बिज़नेस में हैं उन्हें अच्छा लगे कि चलो उनका धंधा डूब गया तो कोई बात नहीं, नौजवानों को तो नौकरी मिली है। कुछ तो अच्छा हो रहा है।

मुख्यमंत्री भी साबित नहीं कर सकती हैं कि उनकी सरकार ने 44 लाख नौकरियाँ दी हैं। राजस्थान बीजेपी ने वसुंधरा राजे के ट्विटर अकाउंट को भी टैग किया है। प्रधानमंत्री भी साबित नहीं कर सकते हैं कि दिल्ली में उनकी सरकार ने 44 लाख नौकरियाँ दी हैं।

आज के समय में कोई भी राज्य सरकार चाहे वह किसी पार्टी की हो, दावा नहीं कर सकती है और न साबित कर सकती है कि उसमें पाँच साल में 44 लाख नौकरियाँ दी हैं।

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