योगी सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज रख दिया है। हालाँकि इलाहाबाद बोलने या लिखने पर पाबंदी नहीं लगाई है। मगर सोशल मीडिया पर बीजेपी आईटी और भक्तों ने कवि कुमार विशवास की क्लास लगा दी।
वो भी इसलिए क्योंकि उन्होंने सोशल मीडिया पर प्रयागराज की जगह इलाहाबाद लिख दिया। जिसपर आलोचना होने पर उन्होंने कहा कि ये हमारी नैतिक बर्बादी है।
सोशल मीडिया पर कुमार विश्वास ने (पहले) इलाहाबाद (अब) प्रयागराज में लगी स्वतंत्रा सेनानी चन्द्रशेखर आजाद की मूर्ति के साथ एक तस्वीर शेयर की और लिखा स्टार के साथ सेल्फी अगर आप इलाहाबाद में हो तो ये आशीर्वाद है।
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इतना लिखने सोशल मीडिया यूज़र भड़क उठे। कई यूजर्स ने लिखा- इलाहाबाद नही प्रयागराज बोलिये, वरना योगी जी से कम्प्लेन कर दूंगी
इलाहाबाद नही प्रयागराज बोलिये, वरना योगी जी से कम्प्लेन कर दूंगी?
— सिमरन सिंह (@Dr_SimranSingh) November 13, 2018
एक और यूजर लिखते हैं- ये वही लोग प्रयागराज बोल रहे है जिन्होंने इलाहाबाद और चन्द्रशेखर के इतिहास को नहीं जाना
ये वही लोग प्रयागराज बोल रहे है जिन्होंने इलाहाबाद और चन्द्रशेखर के इतिहास को नहीं जाना
— सूरज मद्धेशिया@ (@surajmaddhesh14) November 13, 2018
एक यूज़र ने बकायदा इसे धर्मनिरपेक्षता से जोड़ते हुए लिखा- कुछ लोग स्वयं को इतना बड़ा समझते हैं कि उनको गलती का एहसास कराने पर भी नहीं होता, और आप भी इससे वंचित नहीं है बड़े भैया।
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क्षमाप्रार्थी। वैसे सेल्फी तो आज़ाद जी के होने से लाजवाब हो गई है, परंतु आप ने प्रयागराज तो लिखना बनता है, सेक्यूलर बनने के चक्कर में अस्तित्व ना भूल बैठे।
कुछ लोग स्वयं को इतना बड़ा समझते हैं कि उनको गलती का एहसास कराने पर भी नहीं होता, और आप भी इससे वंचित नहीं है बड़े भैया। क्षमाप्रार्थी।
वैसे सेल्फी तो आज़ाद जी के होने से लाजवाब हो गई है, परंतु आप ने प्रयागराज तो लिखना बनता है, सेक्यूलर बनने के चक्कर में अस्तित्व ना भूल बैठे।— अजाति (@ajayyt) November 13, 2018
इन सोशल मीडिया यूज़रों और भक्तों को कुमार विश्वास ने पलटवार करते हुए लिखा- राजनीति ने हमारी सोच-संवेदना को कितना घटिया और कुंठित कर दिया है कि आज़ाद की प्रतिमा के साथ पोस्ट सैल्फी पर कोई टिप्पणी आज़ाद को प्रणाम या प्रेम पर नहीं बल्कि इलाहाबाद को प्रयागराज न लिखने पर धमकियों या उपहास जैसी हैं ! अपनी नैतिक बर्बादी के शायद हम खुद ज़िम्मेदार हैं।
राजनीति ने हमारी सोच-संवेदना को कितना घटिया और कुंठित कर दिया है कि आज़ाद की प्रतिमा के साथ पोस्ट सैल्फी पर कोई टिप्पणी आज़ाद को प्रणाम या प्रेम पर नहीं बल्कि इलाहाबाद को प्रयागराज न लिखने पर धमकियों या उपहास जैसी हैं ! अपनी नैतिक बर्बादी के शायद हम खुद ज़िम्मेदार हैं ??? https://t.co/jV1Jgvim4i
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) November 13, 2018