कृष्णकांत
दिल्ली दंगे के मामले में पुलिस की चार्जशीट एक घटिया किस्म का मजाक है. पुलिस चार्जशीट में कह रही है कि प्रो अपूर्वानंद, योगेंद्र यादव, जयति घोष, सीताराम येचुरी और राहुल रॉय ने दंगा भड़काया.
जो भी लोग इन लोगों को जानते हैं, वे इस आरोप पर सिर्फ हंस सकते हैं.
जिन दंगाइयों के भाषण के बाद दंगा भड़का, उनका नाम तक नहीं लिया गया. दंगाइयों को छोड़कर पुलिस ऐसे ऐसे लोगों का नाम ले रही है, जिनके बारे में कोई सोच नहीं सकता कि वे ऐसा कर सकते हैं. ये ऐसे लोग हैं जो कभी तेज आवाज में बात भी नहीं करते.
योगेंद्र यादव, हर्षमंदर और अपूर्वानंद जैसे लोग, जिन्होंने अपने जीवन में एक पंक्ति भी ऐसी नहीं बोली जो भड़काने वाली हो, उन्हें दंगाई बताया जा रहा है.
जो लोग पुलिस को सीधी चुनौती देकर दंगे का आह्वान कर रहे थे, उन्हें अभयदान दे दिया गया है.
सरकार में बैठे लोगों को ये याद रखना चाहिए कि वे अपने समाज के बुद्धिजीवियों को प्रताड़ित करके इतिहास में अपने लिए कुछ काले अध्याय मुकर्रर कर रहे हैं.
इससे ज्यादा उनको कुछ हासिल नहीं होगा. दिल्ली पुलिस इन लोगों के साथ वही कर रही है जो यूपी पुलिस ने डॉ कफील के साथ किया.
जिस सीएए-एनआरसी कानून के लिए ये किया जा रहा है, वह योगेंद्र यादव को जेल भेज देने से अच्छा कानून नहीं हो जाएगा. जो काला है वह किसी भी कीमत पर काल ही रहेगा.