Jims Hospital

अभी अभी तो घंटी बजी थी, शंख बजे थे, ताली बजी, थाली बजी, फूल बरसाए गए. लेकिन कोरोना योद्धाओं का हौसला है कि बढ़ा ही नहीं! आज वे धरना दे रहे हैं कि आपने घटिया क्वालिटी का पीपीई किट थमा दिया है.

योद्धा को बिना हथियार के रणभूमि में भेजना योद्धा के साथ छल करना है. यही हमारे डॉक्टरों के साथ हो रहा है.

ग्रेटर नोएडा के जिम्स अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मी प्रदर्शन कर रहे हैं कि पीपीई की गुणवत्ता घटिया है. जिम्स अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मी प्रदर्शन कर रहे हैं.

आजतक ने लिखा है कि ‘कोरोना के सबसे ज्यादा मरीजों को ठीक करने वाले हॉस्पिटल जिम्स के स्वास्थ्यकर्मी धरने पर बैठ गए हैं. धरने पर बैठे आउटसोर्स स्टाफ ने घटिया क्वालिटी की पीपीई किट देने का आरोप लगाया है. साथ ही स्वास्थ बीमा, सभी स्वास्थ्यकर्मियों की जांच और आउटसोर्स नर्स को परमानेंट करने की मांग की जा रही है.’

रिपोर्ट कहती है कि ‘जिम्स के दो स्वास्थ्यकर्मी अब तक कोरोना पॉजिटिव मिल चुके हैं. इन दोनों की रिपोर्ट सोमवार रात आई थी. इसके बाद स्वास्थ्यकर्मी गुस्सा हो गए और घटिया क्वालिटी की पीपीई किट के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे.’

यह बात किसी को अच्छी नहीं लगती. सवाल उठाना किसी को अच्छा नहीं लगता, लेकिन फर्ज कीजिए कि आपके पिता, भाई, बहन, मां आदि में से कोई डॉक्टर हो तो बिना सुरक्षा किट के उसपर रोज मौत का खतरा है.

आप ताली पीटकर खुशी मना पाएंगे? आप उनपर फूल बरसाएंगे? सरकार जो कर रही है, वह तो डॉक्टरों के लिए पुष्पांजलि का इंतजाम कर रही है. दिल्ली, यूपी में भी डॉक्टर विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं. लेकिन कौन फूलकाल में उनकी बात कौन सुने?

सबसे दुखद ये है कि हमारी जनता भी मानती है कि फलाने कर रहे हैं तो ठीक ही कर रहे होंगे!

(ये लेख पत्रकार कृष्णकांत के फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है)

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