फ्रांस से पांच राफेल आ गए। उनकी गड़गड़ाहट पर भारत के ज्यादातर न्यूज चैनल लहालोट हैं। उन्हें पता है कि राफेल की गर्जना सुनकर पाकिस्तान थर-थर कांपने लगा है। इमरान और बाजवा छिपने के सुरक्षित ठिकाने की खोज में हैं। जिनपिंग अपना देश छोड़कर कहीं और भाग जाएगा।

राफेल के बारे में जितना भारतीय न्यूज एंकरों को पता है उतना शायद राफेल के निर्माताओं को भी नहीं है। वे एंकर जल्दी ही दुनिया के सबसे घातक मिसाइलों को राफेल पर लादकर पाकिस्तान और चीन की ओर कूच करने ही वाले हैं।

राफेल पर शुभ-लाभ का का टीका तो लग ही चुका है। बस अब 5 अगस्त के उस शुभ मुहूर्त की प्रतीक्षा है जब अयोध्या में राममंदिर का भूमिपूजन सम्पन्न हो जाएगा।

युद्ध के इस चौतरफ़ा माहौल में देश में अत्याधुनिक विमानों और रक्षा-प्रणाली के आगमन की खुशी हम सबको हैं, लेकिन जिस स्तर का बेहूदा प्रचार-तंत्र मीडिया पर सक्रिय है, उसे देख-सुनकर क्या आपको कोफ़्त नहीं होती ?

अगर आपको लग रहा है कि देश की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मूर्खता की तमाम हदें पार कर रही हैं तो आप गलत हैं। वे बहुत शातिर हैं। उन्हें देश के बहुसंख्यक लोगों के मानसिक स्तर का पता है और यह भी पता है सत्ता के हित में उस अविकसित मानस से कैसे खेला जाना चाहिए।

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